रक्षाबंधन 2020 - भाई-बहन का अनोखा त्यौहार! इस साल सोमवार, 3 अगस्त 2020 को मनाया जाने वाला है। सभी बहनें इस पर्व का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं; और करें भी क्यों ना! उनके जान से प्यारे भाई के लिए जो मनाया जाता है; यह त्यौहार। साथ ही साथ उन्हें उपहार भी तो मिलते हैं। भाई बहन के प्यार के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला यह त्यौहार; श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन आता है। आज की इस पोस्ट में हम रक्षाबंधन के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं।
दोस्तों रक्षाबंधन का त्यौहार हिंदू तथा जैन धर्म के लोग प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाते हैं। श्रावण के महीने में इस त्यौहार को मनाए जाने की वजह से इस त्यौहार को ''श्रावणी'' भी कहा जाता है। रक्षाबंधन के दिन बहनों द्वारा भाइयों के कलाई पर बांधी जाने वाली राखी या रक्षा-सूत्र का महत्व अधिक होता है। यह राखी या रक्षा-सूत्र कच्चे धागे से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे तथा सोने या चांदी जैसी महंगी वस्तु तक की हो सकती है। हालांकि, राखी कच्चे सूत की हो या सोने चांदी की राखी का महत्व एक ही होता है; भाई के मंगलमय जीवन की कामना करना। आइए रक्षाबंधन 2020 का शुभ मुहूर्त आपके साथ साझा करते हैं।
***तो दोस्तों रक्षाबंधन 2020 तथा शुभ मुहूर्त की जानकारी प्राप्त कर लेने के बाद; आइए रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां भी हासिल करते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि - जब देवासुर संग्राम में देवताओं और असुरों का युद्ध हो रहा था। तब एक वक्त ऐसा प्रतीत होने लगा कि - असुर जीत जाएंगे। इस संग्राम में देवताओं का नेतृत्व इंद्र कर रहे थे। तब इंद्रानी यानी देवताओं के राजा इंद्र की पत्नी शची, देवताओं के गुरु बृहस्पति के पास गई थी। देवगुरु ने उन्हें विजय के लिए रक्षा सूत्र बांधने को कहा। इसके पश्चात शची ने युद्ध के लिए प्रस्थान कर रहे इंद्र के हाथों में रक्षा सूत्र बांधा। यह माना जाता है कि इसी शुद्ध के कारण देवताओं को इस संग्राम में विजय प्राप्त हुई; वह दिन श्रावण पूर्णिमा का था।
अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार माता लक्ष्मी ने इसे रक्षा सूत्र की बदौलत भगवान विष्णु को राजा बलि के बंधन से मुक्त कराया था। दरअसल बली ने अपनी भक्ति के बल स्वरूप भगवान विष्णु को अपने समक्ष दिन रात उपस्थित रहने का वचन ले लिया था। भगवान विष्णु के घर न लौटने से माता लक्ष्मी परेशान हो गई थी। तभी नारद जी ने उन्हें एक उपाय बताया; उस उपाय के अनुसार - माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बना लिया और अपने पति भगवान विष्णु को मांग कर अपने साथ ले आई; उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा की तिथि थी।
महाभारत काल में भी रक्षाबंधन का संदर्भ मिलता है। इस ऐतिहासिक मिथक संदर्भ के मुताबिक - महाभारत की लड़ाई से पहले भगवान श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल के खिलाफ सुदर्शन चक्र उठाया था। उसी दौरान उनकी तर्जनी (उंगली) में चोट लग गई और खून बहने लगा। तभी द्रोपदी ने अपनी साड़ी में से एक टुकड़ा फाड़कर श्री कृष्ण के उंगली पर बांध दिया; उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। इसके बदले में भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को भविष्य में होने वाली हर मुसीबत में रक्षा करने की कसम दी थी। उस कसम को द्रोपदी वस्त्र-हरण (चीरहरण) के दौरान उनके साड़ी को बढ़ाकर उन्होंने पूरा किया था।
इसी के साथ महाभारत में इस बात का भी उल्लेख पाया जाता है; कि जब ज्येष्ठ पांडव युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि - ''मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं''; तब भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण ने उन्हें तथा उनकी संपूर्ण सेना के रक्षा के लिए रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की सलाह दी थी। कृष्ण का कहना था कि - राखी के इस रेशम धागे में वह शक्ति है। जिससे आप हर आपत्ती से मुक्ति पा सकते हैं। उस समय द्रोपदी द्वारा कृष्ण तथा कुंती द्वारा अभिमन्यु को राखी बांधने के कई उल्लेख मिलते हैं। जिनमें से एक उल्लेख हमने आपके साथ साझा कर दिया।
रक्षाबंधन से जुड़े ऐतिहासिक संदर्भ, आपके साथ साझा करना चाहेंगे - कहते हैं कि - मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली थी। लेकिन, रानी लड़ने में असमर्थ थी; अंततः उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेज कर रक्षा करने की विनती की। हुमायूं जो मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखते हुए मेवाड़ पहुंचकर बहादुरशाह के विरुद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती तथा उनके राज्य की रक्षा की। यही नहीं इतिहास के पन्ने रक्षाबंधन के संदर्भ में यह भी बताते हैं कि - सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरवास (राजा पुरु) को राखी बांध कर अपना मुंह बोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकंदर को मारने का वचन ले लिया। पुरवास ने भी युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी और अपनी बहन को दिया हुआ वचन का सम्मान करते हुए; सिकंदर को जीवनदान दिया था।
दोस्तों, रक्षाबंधन के संदर्भ में ऐतिहासिक कई सारी कहानियां प्रचलित हैं; जिनमें से कुछ कहानियां हमने आपके साथ हमने साझा कर दी है। जिससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि - रक्षाबंधन का यह पवित्र त्यौहार कब से मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन के संदर्भ में हमने आपके साथ पौराणिक कथा भी साझा की है। हालांकि कुछ लोग पौराणिक कथाओं को नहीं मानते; इसीलिए, हमने ऐतिहासिक कथा भी आपके साथ साझा की।
दोस्तों रामायण में आपने सुना ही होगा ''प्राण जाए पर वचन न जाए'' जी हां! बिल्कुल रक्षाबंधन का मतलब हर भाई के लिए यही होता है। वह अपने अंतिम सांस तक अपनी बहन की रक्षा का वचन रक्षाबंधन के दिन लेता है। भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाने के लिए और बढ़ाने के लिए रक्षाबंधन का त्यौहार हम प्रतिवर्ष मनाते हैं। हालांकि, रक्षा बंधन की शुरुआत कब से हुई? इसे हमने पौराणिक कथा तथा ऐतिहासिक कथा के अनुसार जाना।
जैसे कि दोस्तों हम सभी को पता है कि - हमारा भारत देश पूरी दुनिया में त्योहारों का देश के नाम से प्रसिद्ध है। जिस दिन त्यौहार होता है; उस दिन रसोईघर से आने वाली सुहानी खुशबू कमाल कर जाती है। रक्षाबंधन के दिन भी स्वादिष्ट भोजन तथा मिठाइयां पकाई जाती है और परिवार के सभी लोग स्वादिष्ट भोजन का स्वाद लेते हैं।
हालांकि, भारत में रक्षाबंधन का अनुष्ठान किस प्रकार किया जाता है? आइए आपको इस बारे में जानकारी देते हैं। अगर आप भी रक्षाबंधन का त्यौहार मनाते हैं; तो आपको भी बिल्कुल इसी तरह रक्षाबंधन के अनुष्ठान को पूर्ण करना चाहिए। यह संभव है; कि रक्षाबंधन के दिन जिस उद्देश्य से भाई के कलाई पर राखी बांधी जाती हैं। उस उद्देश्य की पूर्ति हो।
लड़के या पुरुष भी प्रातः तैयार होकर राखी बंधवाने के लिए पूजा या किसी उपयुक्त स्थान पर बैठते हैं। वृक्ष को राखी बांधने के बाद लड़कियां अभीष्ट देवता की पूजा करती हैं। इसके पश्चात भाई को राखी बांधने से पहले रोली या हल्दी से भाई को टिका करके चावल को टिके पर लगाया जाता है; इसी के साथ सर पर भी छिड़का जाता है। भाई की आरती उतारी जाती है और दाहिने ने कलाई पर राखी बांधी जाती है। थाली में उपस्थित सिक्के से भाई का उतारा किया जाता है। अब थाली में उपस्थित मिठाई बहन भाई को खिलाकर भाई का मुंह मीठा करती है और भाई भी बहन को मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करता है। राखी बांधने के पश्चात भाई बहन को अपने हैसियत के अनुसार उपहार या धन देता है। इस प्रकार रक्षाबंधन का अनुष्ठान पूर्ण किया जाता है और पश्चात घर में बने स्वादिष्ट पकवानों का आस्वाद घर के सभी सदस्य मिलकर लेते हैं।
भाइयों तथा बहनों कहा जाता है कि - जिस किसी लड़की का भाई नहीं है; या उसके पास नहीं आ सकता। वह लड़की अपने भाई की तस्वीर और श्री कृष्ण की तस्वीर सामने रखकर जिस तरह राखी का अनुष्ठान पूर्ण किया जाता है; बिल्कुल उसी प्रकार अनुष्ठान पूर्ण करें और राखी भगवान श्री कृष्ण को बांधे।
खैर, यह सब तो पुराने जमाने में होता था। आज टेक्नोलॉजी इतनी बढ़ गई है कि - हम दूर बैठे इंसान को भी देख सकते हैं, मोबाइल में इंटरनेट के जरिए। जब आपका भाई आपके पास नहीं है; तो जिस तरह ऊपर राखी के अनुष्ठान को पूर्ण करने के बारे में बताया गया है। बिल्कुल उसी प्रकार राखी के अनुष्ठान को पूर्ण करें। केवल भाई की तस्वीर की जगह मोबाइल में भाई से वीडियो कॉलिंग बात कर सकते हैं।
दोस्तों, उम्मीद करते हैं - बहुत जल्द कोरोना की महामारी से हम सभी को राहत मिलेगी और अगले साल आने वाले रक्षाबंधन पर भाई बहन एक साथ मिलकर रक्षा बंधन का पर्व जैसे पहले मनाते थे; उसी तरह मना पाएंगे।
हां! मैं और आप कुछ नहीं कर सकते; लेकिन रक्षा सूत्र जरूर इसमें अपना अहम रोल निभा सकती है। जैसे कि हमने आपको ऊपर ही बताया; रक्षाबंधन का मतलब ''रक्षा करने के लिए बाध्य'' होता है। यदि हर माता-पिता अपने बेटे को रक्षाबंधन के दिन राखी बांध कर अपनी रक्षा का वचन लेते हैं; तो हो सकता है। भविष्य में किसी भी वृद्धाश्रम की आवश्यकता कभी भी ना हो।
***मेरी इस बात पर आपको हंसी आ रही होगी। बेशक! आप हस सकते हैं। चलो इसी बहाने आप के चेहरे पर मुस्कान तो आई।
गांधी जी के सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने को लेकर भी लोगों ने खिल्ली उड़ाई थी। लेकिन जब गांधीजी को लोगों का साथ मिला तो यही सत्य और अहिंसा की लड़ाई ने हमें आजादी दिलाई।
इस आर्टिकल को पढ़ने वाले सभी माता-पिता से निवेदन कर रहा हूं कि - इस रक्षा बंधन के दिन अपने बेटे को रक्षा सूत जरूर बांधे और जब आपका बेटा आपसे पूछे कि - आप मुझे राखी क्यों बांध रहे हैं? तो आप उसका कारण बता दें।
नोट : हमारी राय या सोच से यदि कभी किसी का भला होगा; तो हमें इससे बेहद खुशी होगी कि हमने अपने जीवन में किसी की तो मदद की। खैर, रक्षाबंधन 2020 कि आप सभी भाई बहनों तथा आपके परिवारजनों को हार्दिक शुभकामनाएं!
उम्मीद करते हैं दोस्तों, इंडियन फेस्टिवल, रक्षाबंधन 2020 भाई-बहन का अनोखा त्यौहार! जानकारी हिंदी में आप सभी दोस्तों को बेहद पसंद आया होगा। जानकारी के बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें और हो सके तो अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर इस जानकारी को शेयर करें।
Rakshabandhan 2020 - Unique festival of siblings! Information in Hindi - Technical Prajapati |
रक्षाबंधन 2020
रक्षाबंधन 2020 में सोमवार, 3 अगस्त 2020 को मनाया जाने वाला है। इस बार रक्षाबंधन श्रावण माह के चौथे सोमवार को आ रहा है। रक्षाबंधन भाई बहन के अटूट रिश्ते का एक प्रसिद्ध त्योहार है। जिसमें रक्षा का मतलब सुरक्षा तथा बंधन का मतलब बाध्य होता है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई के तरक्की तथा दीर्घायु के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं और जीवन भर बहन की रक्षा करने की शपथ एक भाई द्वारा ली जाती है। इसी के साथ जब बहन कलाई पर भाई को राखी बांधती है; तो भाई राखी के बदले कुछ उपहार देता है। यह त्यौहार भाई बहन के प्यार को और मजबूत बनाता है।दोस्तों रक्षाबंधन का त्यौहार हिंदू तथा जैन धर्म के लोग प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाते हैं। श्रावण के महीने में इस त्यौहार को मनाए जाने की वजह से इस त्यौहार को ''श्रावणी'' भी कहा जाता है। रक्षाबंधन के दिन बहनों द्वारा भाइयों के कलाई पर बांधी जाने वाली राखी या रक्षा-सूत्र का महत्व अधिक होता है। यह राखी या रक्षा-सूत्र कच्चे धागे से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे तथा सोने या चांदी जैसी महंगी वस्तु तक की हो सकती है। हालांकि, राखी कच्चे सूत की हो या सोने चांदी की राखी का महत्व एक ही होता है; भाई के मंगलमय जीवन की कामना करना। आइए रक्षाबंधन 2020 का शुभ मुहूर्त आपके साथ साझा करते हैं।
रक्षा बंधन 2020 : शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार तथा स्नेह का पवित्र त्यौहार है। इस त्यौहार का शुभ मुहूर्त कब है? यह जानना हर बहनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि, शुभ मुहूर्त में जब बहन भाई के कलाई पर राखी बांधती है; तो उसका प्रभाव अवश्य ही शुभ होता है। तो बहनों बेफिक्र रहें; आपका भाई आपके लिए रक्षा बंधन 2020 का शुभ मुहूर्त साझा कर रहा है।राखी बांधने का मुहूर्त : 09:27:30 से 21:11:21 तक
अवधि : 11 घंटे 43 मिनट
रक्षा बंधन अपराह्न मुहूर्त : 13:45:16 से 16:23:16 तक
रक्षा बंधन प्रदोष मुहूर्त : 19:01:15 से 21:11:21 तक
***तो दोस्तों रक्षाबंधन 2020 तथा शुभ मुहूर्त की जानकारी प्राप्त कर लेने के बाद; आइए रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां भी हासिल करते हैं।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? इसकी शुरुआत कब हुई?
हर साल भाई के कलाई पर बहने विधि के अनुसार राखी बांधती हैं और अपनी रक्षा का वचन मांगती हैं। लेकिन, रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? क्या आपको इसके बारे में जानकारी है? चलिए, आपको बताते हैं, इसकी शुरुआत कब हुई थी?पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि - जब देवासुर संग्राम में देवताओं और असुरों का युद्ध हो रहा था। तब एक वक्त ऐसा प्रतीत होने लगा कि - असुर जीत जाएंगे। इस संग्राम में देवताओं का नेतृत्व इंद्र कर रहे थे। तब इंद्रानी यानी देवताओं के राजा इंद्र की पत्नी शची, देवताओं के गुरु बृहस्पति के पास गई थी। देवगुरु ने उन्हें विजय के लिए रक्षा सूत्र बांधने को कहा। इसके पश्चात शची ने युद्ध के लिए प्रस्थान कर रहे इंद्र के हाथों में रक्षा सूत्र बांधा। यह माना जाता है कि इसी शुद्ध के कारण देवताओं को इस संग्राम में विजय प्राप्त हुई; वह दिन श्रावण पूर्णिमा का था।
अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार माता लक्ष्मी ने इसे रक्षा सूत्र की बदौलत भगवान विष्णु को राजा बलि के बंधन से मुक्त कराया था। दरअसल बली ने अपनी भक्ति के बल स्वरूप भगवान विष्णु को अपने समक्ष दिन रात उपस्थित रहने का वचन ले लिया था। भगवान विष्णु के घर न लौटने से माता लक्ष्मी परेशान हो गई थी। तभी नारद जी ने उन्हें एक उपाय बताया; उस उपाय के अनुसार - माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बना लिया और अपने पति भगवान विष्णु को मांग कर अपने साथ ले आई; उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा की तिथि थी।
महाभारत काल में भी रक्षाबंधन का संदर्भ मिलता है। इस ऐतिहासिक मिथक संदर्भ के मुताबिक - महाभारत की लड़ाई से पहले भगवान श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल के खिलाफ सुदर्शन चक्र उठाया था। उसी दौरान उनकी तर्जनी (उंगली) में चोट लग गई और खून बहने लगा। तभी द्रोपदी ने अपनी साड़ी में से एक टुकड़ा फाड़कर श्री कृष्ण के उंगली पर बांध दिया; उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। इसके बदले में भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को भविष्य में होने वाली हर मुसीबत में रक्षा करने की कसम दी थी। उस कसम को द्रोपदी वस्त्र-हरण (चीरहरण) के दौरान उनके साड़ी को बढ़ाकर उन्होंने पूरा किया था।
Rakshabandhan reference in Mahabharata period - Technical Prajapati |
इसी के साथ महाभारत में इस बात का भी उल्लेख पाया जाता है; कि जब ज्येष्ठ पांडव युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि - ''मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं''; तब भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण ने उन्हें तथा उनकी संपूर्ण सेना के रक्षा के लिए रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की सलाह दी थी। कृष्ण का कहना था कि - राखी के इस रेशम धागे में वह शक्ति है। जिससे आप हर आपत्ती से मुक्ति पा सकते हैं। उस समय द्रोपदी द्वारा कृष्ण तथा कुंती द्वारा अभिमन्यु को राखी बांधने के कई उल्लेख मिलते हैं। जिनमें से एक उल्लेख हमने आपके साथ साझा कर दिया।
रक्षाबंधन से जुड़े ऐतिहासिक संदर्भ, आपके साथ साझा करना चाहेंगे - कहते हैं कि - मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली थी। लेकिन, रानी लड़ने में असमर्थ थी; अंततः उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेज कर रक्षा करने की विनती की। हुमायूं जो मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखते हुए मेवाड़ पहुंचकर बहादुरशाह के विरुद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती तथा उनके राज्य की रक्षा की। यही नहीं इतिहास के पन्ने रक्षाबंधन के संदर्भ में यह भी बताते हैं कि - सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरवास (राजा पुरु) को राखी बांध कर अपना मुंह बोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकंदर को मारने का वचन ले लिया। पुरवास ने भी युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी और अपनी बहन को दिया हुआ वचन का सम्मान करते हुए; सिकंदर को जीवनदान दिया था।
दोस्तों, रक्षाबंधन के संदर्भ में ऐतिहासिक कई सारी कहानियां प्रचलित हैं; जिनमें से कुछ कहानियां हमने आपके साथ हमने साझा कर दी है। जिससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि - रक्षाबंधन का यह पवित्र त्यौहार कब से मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन के संदर्भ में हमने आपके साथ पौराणिक कथा भी साझा की है। हालांकि कुछ लोग पौराणिक कथाओं को नहीं मानते; इसीलिए, हमने ऐतिहासिक कथा भी आपके साथ साझा की।
दोस्तों रामायण में आपने सुना ही होगा ''प्राण जाए पर वचन न जाए'' जी हां! बिल्कुल रक्षाबंधन का मतलब हर भाई के लिए यही होता है। वह अपने अंतिम सांस तक अपनी बहन की रक्षा का वचन रक्षाबंधन के दिन लेता है। भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाने के लिए और बढ़ाने के लिए रक्षाबंधन का त्यौहार हम प्रतिवर्ष मनाते हैं। हालांकि, रक्षा बंधन की शुरुआत कब से हुई? इसे हमने पौराणिक कथा तथा ऐतिहासिक कथा के अनुसार जाना।
भारत में रक्षा बंधन का मतलब
भारतीय परंपरा के अनुसार - राखी के धागे को लोहे से भी मजबूत माना जाता है। यह एक पवित्र धागा है; जो भाई बहन में आपस के प्यार, विश्वास को और भी दृढ़ बनाता है। एक तरफ बहन भाई के कलाई पर राखी बांधकर भाई के मंगलमय जीवन की कामना भगवान से करती है। वहीं दूसरी तरफ भाई भी जीवन भर बहन की रक्षा करने का वचन लेता है और अपने वादे के मुताबिक कठिन से कठिन परिस्थिति में अपने बहन के साथ खड़ा रहता है। माता पिता के लिए रक्षाबंधन का यह त्यौहार किसी पुनर्मिलन से कम नहीं होता। अपने बच्चों के बीच प्यार और एकजुटता को देखकर उन्हें बेहद खुशी होती है।जैसे कि दोस्तों हम सभी को पता है कि - हमारा भारत देश पूरी दुनिया में त्योहारों का देश के नाम से प्रसिद्ध है। जिस दिन त्यौहार होता है; उस दिन रसोईघर से आने वाली सुहानी खुशबू कमाल कर जाती है। रक्षाबंधन के दिन भी स्वादिष्ट भोजन तथा मिठाइयां पकाई जाती है और परिवार के सभी लोग स्वादिष्ट भोजन का स्वाद लेते हैं।
हालांकि, भारत में रक्षाबंधन का अनुष्ठान किस प्रकार किया जाता है? आइए आपको इस बारे में जानकारी देते हैं। अगर आप भी रक्षाबंधन का त्यौहार मनाते हैं; तो आपको भी बिल्कुल इसी तरह रक्षाबंधन के अनुष्ठान को पूर्ण करना चाहिए। यह संभव है; कि रक्षाबंधन के दिन जिस उद्देश्य से भाई के कलाई पर राखी बांधी जाती हैं। उस उद्देश्य की पूर्ति हो।
रक्षाबंधन का अनुष्ठान किस तरह पूर्ण किया जाता है?
श्रावण माह के पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन प्रातः लड़कियां तथा औरतें स्नान करके पूजा की थाली को सजाती हैं। इस थाली में रोली या हल्दी, चावल, दिया, मिठाई और एक सिक्का होता है। यह सिक्का रुपए, चांदी या सोने का हो सकता है। भाई को राखी बांधने से पहले प्रकृति की सुरक्षा के लिए तुलसी और नीम के पेड़ को राखी बांधी जाती है।रक्षाबंधन का अनुष्ठान किस तरह पूर्ण किया जाता है - Technical Prajapati |
दोस्तों कहते हैं कि - प्रकृति है; तो हम हैं। प्रकृति हर समय हमारी रक्षा करती हैं। इसी के अनुरूप रक्षाबंधन के दिन लड़कियां तथा औरतें वृक्ष को राखी बांधकर भविष्य में प्रकृति द्वारा हमारी रक्षा की मांग करती है। जिसे वृक्ष-रक्षाबंधन भी कहा जाता है। हालांकि आजकल के बदलते युग में इसका प्रचलन नहीं हो रहा है; जो कि बहुत ही गलत है। वृक्ष को राखी बांधकर प्रकृति को धन्यवाद देना; हमारी संस्कृति है। क्यों ना इस बार से रक्षाबंधन के दिन पुनः इस संस्कृति या परंपरा को शुरू करें।
लड़के या पुरुष भी प्रातः तैयार होकर राखी बंधवाने के लिए पूजा या किसी उपयुक्त स्थान पर बैठते हैं। वृक्ष को राखी बांधने के बाद लड़कियां अभीष्ट देवता की पूजा करती हैं। इसके पश्चात भाई को राखी बांधने से पहले रोली या हल्दी से भाई को टिका करके चावल को टिके पर लगाया जाता है; इसी के साथ सर पर भी छिड़का जाता है। भाई की आरती उतारी जाती है और दाहिने ने कलाई पर राखी बांधी जाती है। थाली में उपस्थित सिक्के से भाई का उतारा किया जाता है। अब थाली में उपस्थित मिठाई बहन भाई को खिलाकर भाई का मुंह मीठा करती है और भाई भी बहन को मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करता है। राखी बांधने के पश्चात भाई बहन को अपने हैसियत के अनुसार उपहार या धन देता है। इस प्रकार रक्षाबंधन का अनुष्ठान पूर्ण किया जाता है और पश्चात घर में बने स्वादिष्ट पकवानों का आस्वाद घर के सभी सदस्य मिलकर लेते हैं।
महत्वपूर्ण सूचना : बहन जब भाई को राखी बांधती है; उस दौरान उसे एक श्लोक का पाठ करना है। वह श्लोक है -
येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥
इस श्लोक का मतलब : जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया। उसी सूत्र से मैं तुझे बांध रही हूं; हे राखी! हे रक्षे! तुम अडिग रहना, अपने संकल्प से कभी भी विचलित ना होना।
कोरोना काल और रक्षाबंधन का पर्व
यह दुखद बात है कि - संपूर्ण विश्व कोरोना महामारी से त्रस्त है। ऐसे में रक्षाबंधन का पर्व भी नजदीक आ गया है। दूसरे राज्य में या विदेश में रहने वाले लोग अपने घर नहीं जा सकते। ऐसे में बहन अपने भाई को राखी कैसे बांधेगी? यह अहम सवाल भाई बहनों के मन में चल रहा होगा। और चले भी क्यों ना? रक्षाबंधन का पर्व विशेष रूप से भावनाओं और संवेदनाओं का जो है। हालांकि, भावनाओं और संवेदनाओं को लेकर हम नियम तोड़कर बड़ी मुसीबत भी तो नहीं ले सकते। तो फिर कैसे मनाया जाएगा? कोरोना काल में बिना भाई के या बिना बहन के रक्षाबंधन का यह पवित्र पर्व। आइए इस समस्या को सुलझाने की कोशिश करते हैं।Raksha-Bandhan-2020- Technical Prajapati |
भाइयों तथा बहनों कहा जाता है कि - जिस किसी लड़की का भाई नहीं है; या उसके पास नहीं आ सकता। वह लड़की अपने भाई की तस्वीर और श्री कृष्ण की तस्वीर सामने रखकर जिस तरह राखी का अनुष्ठान पूर्ण किया जाता है; बिल्कुल उसी प्रकार अनुष्ठान पूर्ण करें और राखी भगवान श्री कृष्ण को बांधे।
खैर, यह सब तो पुराने जमाने में होता था। आज टेक्नोलॉजी इतनी बढ़ गई है कि - हम दूर बैठे इंसान को भी देख सकते हैं, मोबाइल में इंटरनेट के जरिए। जब आपका भाई आपके पास नहीं है; तो जिस तरह ऊपर राखी के अनुष्ठान को पूर्ण करने के बारे में बताया गया है। बिल्कुल उसी प्रकार राखी के अनुष्ठान को पूर्ण करें। केवल भाई की तस्वीर की जगह मोबाइल में भाई से वीडियो कॉलिंग बात कर सकते हैं।
दोस्तों, उम्मीद करते हैं - बहुत जल्द कोरोना की महामारी से हम सभी को राहत मिलेगी और अगले साल आने वाले रक्षाबंधन पर भाई बहन एक साथ मिलकर रक्षा बंधन का पर्व जैसे पहले मनाते थे; उसी तरह मना पाएंगे।
रक्षाबंधन का त्यौहार बदल देगी सोच
यह मेरा अनुभव है; जिसे में रक्षाबंधन के साथ जोड़कर आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं। शायद! मुझे ऐसा लगता है, रक्षाबंधन का त्यौहार बदल देगी दुनिया की सोच।Rakshabandhan festival will change thinking - Technical Prajapati |
1 दिन अनजाने में, मैं एक वृद्ध आश्रम के सामने से गुजरा। उस आश्रम में कई सारे बुजुर्ग मुझे दिखाई दिए। मेरे साथ मेरा एक दोस्त भी था। मैंने उससे पूछा कि, भाई यह इतने सारे बूढ़े लोग यहां क्या कर रहे हैं? क्या कोई फंक्शन है? तब मेरे दोस्त ने मुझे बताया यहां कोई फंक्शन नहीं है। यह एक वृद्ध आश्रम है; यहां वह बूढ़े लोग हैं जिनके बेटों ने अपने मां-बाप को घर से बेदखल कर दिया है। मैं नि: शब्द होकर मेरे मित्र की बातें सुनता चला गया। अब हम आश्रम से काफी दूर आ पहुंचे थे। मेरे मित्र के अंतिम शब्द थे - ''छोड़ यार हम कर भी क्या सकते हैं''।
हां! मैं और आप कुछ नहीं कर सकते; लेकिन रक्षा सूत्र जरूर इसमें अपना अहम रोल निभा सकती है। जैसे कि हमने आपको ऊपर ही बताया; रक्षाबंधन का मतलब ''रक्षा करने के लिए बाध्य'' होता है। यदि हर माता-पिता अपने बेटे को रक्षाबंधन के दिन राखी बांध कर अपनी रक्षा का वचन लेते हैं; तो हो सकता है। भविष्य में किसी भी वृद्धाश्रम की आवश्यकता कभी भी ना हो।
***मेरी इस बात पर आपको हंसी आ रही होगी। बेशक! आप हस सकते हैं। चलो इसी बहाने आप के चेहरे पर मुस्कान तो आई।
गांधी जी के सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने को लेकर भी लोगों ने खिल्ली उड़ाई थी। लेकिन जब गांधीजी को लोगों का साथ मिला तो यही सत्य और अहिंसा की लड़ाई ने हमें आजादी दिलाई।
इस आर्टिकल को पढ़ने वाले सभी माता-पिता से निवेदन कर रहा हूं कि - इस रक्षा बंधन के दिन अपने बेटे को रक्षा सूत जरूर बांधे और जब आपका बेटा आपसे पूछे कि - आप मुझे राखी क्यों बांध रहे हैं? तो आप उसका कारण बता दें।
नोट : हमारी राय या सोच से यदि कभी किसी का भला होगा; तो हमें इससे बेहद खुशी होगी कि हमने अपने जीवन में किसी की तो मदद की। खैर, रक्षाबंधन 2020 कि आप सभी भाई बहनों तथा आपके परिवारजनों को हार्दिक शुभकामनाएं!
उम्मीद करते हैं दोस्तों, इंडियन फेस्टिवल, रक्षाबंधन 2020 भाई-बहन का अनोखा त्यौहार! जानकारी हिंदी में आप सभी दोस्तों को बेहद पसंद आया होगा। जानकारी के बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें और हो सके तो अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर इस जानकारी को शेयर करें।
Very nice sir
ReplyDeleteVery helpful
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