प्रतियोगी परीक्षा का अध्ययन [Competition Exam Practice] करते समय दुनिया के इतिहास का अध्ययन किया जाना चाहिए। इसी बात को मद्देनजर रखते हुए, आज की इस पोस्ट में हम आपके सामने इतिहास से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां प्रस्तुत करने वाले हैं।


1857 के विद्रोह के कारण - Reasons for the uprising of 1857 in Hindi technical prajapati
1857 के विद्रोह के कारण - Reasons for the uprising of 1857 in Hindi

नमस्कार दोस्तों,
फ्रेंड्स, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी (UPSC / MPSC और अन्य) भाग - 1 और 2 में हमने विज्ञान तथा सामान्य ज्ञान के बारे में कुछ जानकारियां हासिल की थी। [अगर आप उन आर्टिकल्स को पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।] आज की पोस्ट में हम इतिहास से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानने वाले हैं।


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1857 के विद्रोह के कारण - Reasons for the uprising of 1857 in Hindi

दोस्तों, भारत में अंग्रेजी शक्ति के विस्तार की अवधि 1757 से 1856 तक की थी। 1856 तक, लगभग संपूर्ण भारत में ब्रिटिश शासन प्रस्थापित हो गया था। 1857 भारत में अंग्रेजों के खिलाफ एक बड़ा सशस्त्र विद्रोह हुआ। जिसे राष्ट्रीय उत्थान (राष्ट्रीय उठाव) के लिए जाना जाता है। 1857 के स्वतंत्रयुद्ध में देश के व्यापक क्षेत्रों से लाखों लोगों ने भाग लिया। जिस वजह से ब्रिटिश सत्ता की जड़ हिल गई। आइए आपको बताते हैं, 1857 के विद्रोह के कारण :-


राजनीतिक कारण:
  1. 1600 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया की स्थापना की गई।
  2. 1757 में प्लासी की लड़ाई द्वारा भारत में ब्रिटिश सत्ता की नींव स्थापित की गई थी।
  3. 1798 में वेलस्ली (Welsley) गवर्नर जनरल के रूप में भारत आया।
  4. तैनाती बलों को अपनाकर साम्राज्य के विस्तार पर जोर दिया।
  5. वेलस्लीने निजाम मराठों के शिंदे, होलकर, भोंसले आदि सरदार, अयोध्या के नवाब पेशवा द्वितीय अविला और अनेक संगठनों को बर्खास्त कर दिया।
  6. लॉर्ड क्लाईव्ह, लॉर्ड वॉरन हेस्टिंग, लॉर्ड बेटिंग, लॉर्ड डलहौसी इन गवर्नर जनरलोंने संपूर्ण भारत देश में कंपनी का वर्चस्व निर्माण किया।

वित्तीय कारण:
  1. वित्तीय साम्राज्यवाद पर अंग्रेजों ने अधिक जोर दिया।
  2. 18 वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति यूरोप में देखी गई।
  3. कृषि यह भारत का मुख्य व्यवसाय था। इसीलिए किसानों को ब्रिटिश सरकार को 2/3 भाग आयकर के रूप में देना पड़ता था।

सैन्य कारण:
  1. जब तक सैनिक विद्रोह के लिए तैयार नहीं होता, तब तक विद्रोह नहीं हो सकता था। लेकिन राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक आदि कारणों ने जनता में असंतोष पैदा किया।
  2. सैनिकों ने अपने हाथों में बंदूकें ले ली और विद्रोह की शुरुआत हो गई।
  3. अंग्रेजों ने हिंदी सैनिकों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कई सैन्य कानूनों को मंजूरी दे दी।
  4. 1906 में एक कायदा पारित किया गया। जिसके अनुसार हिंदी सैनिकों को गंध लगाने और दाढ़ी बनाने के लिए मजबूर किया गया था।

धार्मिक कारण:
  1. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी धार्मिक साम्राज्यवाद को पुरस्कृत करने लगी।
  2. कंपनी को 1813 के चार्टर एक्ट के अनुसार, धर्म के प्रसार के लिए मदद मिलनी शुरू हो गई।
  3. कई ईसाई धर्म के प्रसार के लिए भारत आए।
  4.  कंपनी तथा सरकार ने कई हिंदू मंदिर और मुस्लिम मस्जिदें छीन लीं।

***जैसे कारणों की वजह से ही 1857 का विद्रोह हुआ। तो दोस्तों अब आपको 1857 के विद्रोह के कारणों के बारे में पता चल गया है। अब आपको इतिहास के एक और महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं - प्रबोधन युग या ज्ञानोदय युग



प्रबोधन युग - Enlightenment era in Hindi

यूरोप में मध्य युग के अंत तक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए थे। भौगोलिक खोज, ग्रीक और रोमन परंपराओं के पुनरुद्धार, वास्तुकला और तत्वज्ञान, कला में प्रगति के सभी पहलुओं के विकास के साथ प्रबोधन युग (Enlightenment era) की शुरुआत हुई।

13 वीं शताब्दी के बाद से, इटली के साथ-साथ कई व्यापारियों ने एशिया और यूरोप के देशों के साथ व्यापार करना शुरू किया। इसने न केवल इटली को समृद्ध बनाया, बल्कि वहां के व्यापारी वर्ग के अस्तित्व को तय करने में भी मदद की।

प्रबोधन युग - Enlightenment era in Hindi technical prajapati
प्रबोधन युग - Enlightenment era in Hindi

मानवतावाद:

मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है तथा उसके लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा यह जानने की सद्विवेक-बुद्धी उसके पास है। भले ही मनुष्य अपना जीवन स्वयं ही बना रहा हो। लेकिन एक मनुष्य में भावना, इच्छा और आकांक्षा होना आम बात है। यह मानवतावादी दृष्टिकोण प्रबोधन युग के दौरान बढ़ा।

कला के लिए अच्छे दिन:

यदि आप कहते हैं कि, प्रबोधन युग में कला के लिए सुनहरे दिन आए तो यह अनुचित नहीं होगा। साहित्य, संगीत, मूर्तिकला, पेंटिंग, वास्तुकला आदि जैसे कलाओं के माध्यम से मानव जीवन और भावनाओं का प्रतिबिंब उभरने लगा। इसी अवधि के दौरान महान नाटककार शेक्सपिअर, गॅलिलिओ और कोपर्निकस जैसे वैज्ञानिक, लिओनार्डो-द- व्हिन्सी जैसे विश्व प्रसिद्ध चित्रकार अपनी उपस्थिति बनाए हुए थे।

***तो दोस्तों, मानव जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन के लिए प्रबोधन युग को जाना जाता है। प्रबोधन युग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने के बाद अब हम इतिहास के एक और महत्वपूर्ण जानकारी की ओर रुख करते हैं।



प्राचीन भारत का इतिहास: आर्य आगमन और जीवन शैली

भारत के वायव्य और पश्चिम में रहने वाले ऋग्वेद कालीन अति प्राचीन लोगों के लिए आर्य शब्द का उपयोग किया जाता है। जिसे सप्तसिंधु के रूप में भी जाना जाता है। इन्हीं आर्यों ने वैदिक संस्कृति का विकास किया था। सप्तसिंधु यह सात महान नदियों का क्षेत्र था। आइए अब आपको 'प्राचीन भारत का इतिहास: आर्यों का आगमन और उनकी जीवन शैली' के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं / बताते हैं।

आर्य उपनिवेश:

इ.स. पूर्व 1400 के आसपास एशिया, मायनर में स्थित बोगाज़कोई इस जगह एक शिलालेख मिला था। इस शिलालेख में आर्यों के ऋग्वेद में इंद्र, मित्र, वरुण इन देवताओं का उल्लेख किया गया है। इसीलिए, बोगाज़कोई के शिलालेख के अनुसार एशिया माइनर यह आर्यों का मूल निवास स्थान है ऐसा माना जाता हैं। आर्यों ने पूर्व अफगानिस्तान, पंजाब, ब्रह्मवर्त इस क्रम के साथ उत्तर हिंदुस्तान में उपनिवेश किया। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, लंबे समय तक उनकी दक्षिण मर्यादा विंध्य पर्वत होनी चाहिए।

राज्य प्रणाली:

आर्यों के परिवार संस्थाओं से राजसत्ता का उदय हुआ। कई परिवार मिलकर 'ग्राम' या 'गांव' और अनेक गांव मिलकर 'विश' बनते और अनेक विश मिलकर 'जन' या 'राष्ट्र' निर्माण होता। प्रजा के प्रमुख को राजन या राजा कहा जाता था। लोग अपने कबीले की रक्षा के लिए एक मजबूत और कूटनीतिक राजा चुनते थे। राजा का पहला कर्तव्य शत्रुओं से विषयों की रक्षा करना था। 'सभा' और 'समिति' वैदिक काल में राजशाही को नियंत्रित करने वाली दो संस्थाएँ थीं।

अर्थव्यवस्था:

जब आर्य गंगा-यमुना की घाटी में पहुँचे, तो कृषि उनका मुख्य व्यवसाय बन गया। गेहूं, सातू, जव, गन्ना, कपास, सरसों या फलों का उत्पादन आर्य करते थे। पशुधन खेती कृषि के अलावा एक पूरक व्यवसाय था। विनिमय के साधन के रूप में गायों का उपयोग किया जाता था। विनिमय के साधन के रूप में 'निष्क' इस सिक्के का उपयोग किया जाता। उस समय गायों की संख्या से परिवार की आर्थिक स्थिति का पता लगाया जा सकता था। किसान अपनी आय का छठा हिस्सा राजा को कर के रूप में देते थे।

सामाजिक जीवन:

दोस्तों जैसे कि, आर्य समाज गांवों में विभाजित था। इसीलिए उनके घर वर्तमान तरीके जैसे ही थे। घर के लिए लकड़ी और छत के लिए घास का उपयोग किया जाता था। इनके आहार में अनाज के साथ दूध, दही, मक्खन, फल, सब्जियां और मांस भी शामिल थे। गांव के मुखिया को 'ग्रामीणी' कहा जाता था। परिवार व्यवस्था 'पितृसत्तात्मक' थी। घर में सबसे बड़ा आदमी परिवार का 'मुखिया' था। उसे 'गुरुस्वामी' कहा जाता था। भले ही समाज पितृसत्तात्मक था लेकिन लड़कियों को अपने पति को चुनने के लिए स्वतंत्रता थी। ऋग्वेद के दौरान विश्वसवारा घोंसला जैसी महान महिलाओंने अपनी उपस्थिति प्रस्तुत की। इस दौर में विद्वान या कहे बुद्धिमान महिलाओं को ब्रह्मवादिनी कहा जाता था।

***तो दोस्तों इस प्रकार हमने प्राचीन भारत का इतिहास: आर्यों का आगमन और उनकी जीवन शैली के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर ली है।

'प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी (UPSC / MPSC और अन्य) भाग - 3 | History' में हमने जाना :
1. 1857 के विद्रोह के कारण - Reasons for the uprising of 1857 in Hindi
2. प्रबोधन युग - Enlightenment era in Hindi
3. प्राचीन भारत का इतिहास: आर्य आगमन और जीवन शैली

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी (UPSC / MPSC और अन्य) भाग - 4 लेकर हम जल्द ही आपके सामने प्रस्तुत होंगे।

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