12 नवंबर-पक्षी दिवस-बर्डमैन डॉ.सलीम अली की जीवनी |
हैल्लो नमस्कार दोस्तों,
फ्रेंड्स, डॉ. सलीम अली भारत के एक पंछी शास्त्रज्ञ और पर्यावरणवादी थे। सलीम अली ने भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय पंछी, उनकी आदतें और उनकी विविध जातियां और जातियों में की विविधता इन का बारिकी से परीक्षण करने की परंपरा शुरू की थी। भारत के सभी पंछी निरीक्षक डॉ.सलीम अली को अपना पहला गुरु के रूप में मानते हैं।
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12-November-Dr.Salim Ali Day
१२ नवंबर डॉ. सलीम अली दिवस (पक्षी दिवस)
भारत में पंछियों की विशाल विविधताओं के बावजूद सही मायने में एक वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हो पा रहा था। डॉक्टर सलीम अली उन्होंने अपनी दृढ़ता और कड़ी मेहनत से इस काम को बहुत ही ऊंचाई तक पहुंचा दिया। भारतीय पंछी शास्त्रज्ञ डॉक्टर सलीम अली इन्हें "भारतीय बर्ड-मैन" (Indian Birdman) के नाम से जाना जाता है। डॉक्टर सलीम अली भारत में पक्षी अध्ययन की नींव रखी। उन्होंने पूरे भारत भर घूमकर भारत के अलग अलग किस्म के पक्षियों का निरीक्षण किया।
सलीम अली (Salim Ali)
डॉ. सलीम अली (सलीम मोइजुद्दीन अली) इनका जन्म मुंबई के खेतवाडी में एक मुस्लिम परिवार के घर १२ नोव्हेंबर इ.स. १८९६ को हुआ था। बचपन से ही इन्हें पंछियों का निरीक्षण करना अच्छा लगता था। इन्हें छर्रे की बंदूक उपहार स्वरूप मिली, उस बंदूक से उन्हें छोटे पंछियों का शिकार करने का शौक था। एक दिन शिकार किए हुए चिड़ियों में उन्हें एक चिड़िया कुछ अलग नजर आई। जिसकी गर्दन पर पीले रंग का बिंदु था। यह चिड़िया पहले की चिड़ियों से कुछ अलग थी इसीलिए उनकी उत्सुकता और बढी, और उन्होंने इस चिड़िया के बारे में अपने मामा से पूछा यह कौन-सी चिड़िया है? मामा उन्हें बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के संचालक के पास लेकर गए। वहां संचालक ने छोटे अली को यह चिड़िया कौन सी है इसके बारे में पूरी जानकारी दी। मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी जाने के बाद सलीम अली पंछियों से और मोहित हो गए, और उसके बाद उस संस्था के साथ जुड़ गए।
स्कूली शिक्षा के बाद डॉक्टर सलीम अली इन्हे पशु विज्ञान में डिग्री लेनी थी। परंतु कई कठिन विषयों की वजह से उन्हें अपना यह कदम पीछे लेना पड़ा। इसी बीच, वे ब्रिटिश काउंसिल में अपने भाई के कारोबार में मदद करने के लिए तैयार हो गए। भाई के कारोबार में मदद करते हुए सलीम अली वहां के जंगलों में भी भटकते थे। जहां पंछियों को कैद कर उनका रिकॉर्ड रखने का अपना शौक उन्होंने जारी रखा। 1918 में डॉक्टर सलीम अली का विवाह तेहमीन नामक एक युवती से हुआ। हर सफल व्यक्ति के पीछे किसी स्री का हाथ होता है। यह कहावत डॉक्टर अली से मिलता जुलता है। 1920 में रंगून में अपने धंधे में नुकसान होने के बाद अली भारत वापस आ गए। इसी बीच तेहमीन ने सलीम अली के पंछियों के छंद होने के बारे में जानकारी हासिल कर ली थी। उन्होंने ऐसी नौकरी करने के लिए डॉक्टर अली को प्रोत्साहित किया जिससे उनका छंद पूरा हो। इसीलिए उन्होंने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी में गाइड लेक्चरर की नौकरी करना शुरू की,लेकिन अली के लिए बस इतना ही काफी नहीं था। उस वक्त भारत में पक्षीशास्त्र (ornithology) यह विषय अस्तित्व में नहीं था इसीलिए उन्हें जर्मनी जाकर पक्षी शास्त्र का प्रशिक्षण लेना पड़ा और कुछ वक्त इंग्लैंड में ही काम करना पड़ा।
भारत आने के बाद इस क्षेत्र मे नोकरी प्राप्त करना बहुत ही कठीण काम था। डॉक्टर सलीम अली को अभी भी एक शौकिया पक्षीनिरीक्षक के रूप में माना जाता। अपनी पत्नी की मदत से उन्होंने अलीबाग, किहिम के पास अपना प्रवास स्थलांतरित कर दिया। इसके बाद सुगरन नामक पंछी का बारकाई से निरीक्षण किया। 'बीएन्एच्एस' के जर्नल में उन्होंने एक लंबा निबंध लिखा। वही लेख डॉ.सलीम अली को एक ऑर्निथोलॉजिस्ट के रूप में नाम पहचान प्राप्त करने के लिए जिम्मेदार था।
1930 की शुरुवात में सलीम अली को ब्रिटिश सरकार तथा राज्य प्रायोजित पंछी अभियानों में बुलाया जाने लगा। वहां सलीम अली ने बताया की हम इन् अभियानों में पक्षियों और पक्षियों के जीवन और जीवन शैली का अध्ययन कर हैं। सिर्फ पक्षियों के रिकॉर्ड रखने में हमें रूचि नहीं है। यह काम कोई भी स्थानिक श्रमिक कर सकता है। अब डॉ.सलीम अली को सार्वभौमिक पंछी वैज्ञानिक के रूप में पहचान मिल चुकी थी। इसीलिए तत्कालीन ब्रिटिश अधिकारियो ने मजूरी दे दी। और अब सही मायने से डॉ.सलीम अली का काम शुरू हो गया। इसके बाद उन्होंने भारत के बड़े क्षेत्रों में पंछी अवलोकन अभियान शुरू किए। देश की उत्तरी सीमाओं से केरल के जंगल तक और कच्छ के दलदल से पूर्व में सिक्किम और अरुणाचल तक जाकर उन्होंने पंछियो का रिकॉर्ड बनाया। इसमें पंछियो की आदते, मौसम के साथ उनमे होने वाले बदलाव, मसालेदार मौसम आदि पर बड़े पैगामो पर जानकारी हाशिल की।
शुरुआत में उनकी पत्नी, तेहुमिना ने उन्हें बहुत कुछ करने में मदद की। सलीम अली के अभियान के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट को देखते हुए। 1939 में ताहिमिना की मौत के बाद, अली बहुत परेशान हो गए। उनके जीवन में एक बड़ा पहाड़ सामने आ गया था। लेकिन फिर से शादी किए बिना, उन्होंने पंछियो को पूरी तरह से अपना जीवन देने का फैसला किया। 20 जून 1987 को डॉ.सलीम का देहांत हो गया।
1930 की शुरुवात में सलीम अली को ब्रिटिश सरकार तथा राज्य प्रायोजित पंछी अभियानों में बुलाया जाने लगा। वहां सलीम अली ने बताया की हम इन् अभियानों में पक्षियों और पक्षियों के जीवन और जीवन शैली का अध्ययन कर हैं। सिर्फ पक्षियों के रिकॉर्ड रखने में हमें रूचि नहीं है। यह काम कोई भी स्थानिक श्रमिक कर सकता है। अब डॉ.सलीम अली को सार्वभौमिक पंछी वैज्ञानिक के रूप में पहचान मिल चुकी थी। इसीलिए तत्कालीन ब्रिटिश अधिकारियो ने मजूरी दे दी। और अब सही मायने से डॉ.सलीम अली का काम शुरू हो गया। इसके बाद उन्होंने भारत के बड़े क्षेत्रों में पंछी अवलोकन अभियान शुरू किए। देश की उत्तरी सीमाओं से केरल के जंगल तक और कच्छ के दलदल से पूर्व में सिक्किम और अरुणाचल तक जाकर उन्होंने पंछियो का रिकॉर्ड बनाया। इसमें पंछियो की आदते, मौसम के साथ उनमे होने वाले बदलाव, मसालेदार मौसम आदि पर बड़े पैगामो पर जानकारी हाशिल की।
शुरुआत में उनकी पत्नी, तेहुमिना ने उन्हें बहुत कुछ करने में मदद की। सलीम अली के अभियान के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट को देखते हुए। 1939 में ताहिमिना की मौत के बाद, अली बहुत परेशान हो गए। उनके जीवन में एक बड़ा पहाड़ सामने आ गया था। लेकिन फिर से शादी किए बिना, उन्होंने पंछियो को पूरी तरह से अपना जीवन देने का फैसला किया। 20 जून 1987 को डॉ.सलीम का देहांत हो गया।
लेखन
डॉ.सलीम अली के एक पंछी वैज्ञानिक महिमा किसमे है तो वो है उन्होंने प्रकाशिक की हुई पुस्तकों में। भारतभर घूमकर उन्होंने जो जानकारिया हाशिल की थी। उन सभी जानकारियों को उन्होंने सिर्फ रिकॉर्ड तक ही सिमित न रखते हुए इस तरह किताब लिखी। जिसे आम इंसान भी पढ़ कर समझ सके। शुरुवात में उन्हें किताबे लिखते वक्त अपनी पत्नी तेहमीन से काफी मदद मिली। 1943 में लिखी "द बुक ऑफ इंडियन बर्ड्स" किताब आज भी पंछियो के पहचान के लिए अधिक लोकप्रिय है। आज यह किताब अपने १३वे संस्करण में है, जहाँ किताब की बस थोड़े ही चित्रों को बदलने की जरुरत पड़ी है। इसी से डॉ.सलीम अली ने किये सूक्ष्म खोज का पता चलता है। उन्होंने लिखे "हँडबुक ऑफ बर्ड्स ऑफ़ इंडिया ॲन्ड पाकिस्तान " (सचित्र गाइड) इस 10 खंड के किताब ने सही मायनो में डॉ.सलीम अली को अजरामर किया। डॉ. सिडने डिलन रिप्ली इनके साथ कड़ी मेहनत से उन्होंने पंछियो के 1200 जाती और 2100 उपजातियों का रिकॉर्ड, उनकी आदतों कुछ वैज्ञानिक रूप से चित्रों सहित बनाकर सभी जानकारियां एक ही जगह पर मुहैया कराया।
डॉ.सलीम अली द्वारा लिखी किताबे
👉The Book of Indian Birds - First edition 1943-present 13th edition
👉Indian Hill Birds
👉Handbook of Birds of India and Pakistan - Vol. 1 to 10. Co-author - Dr. Sidney Dillon Ripley. Oxford Press (1964 to 1974)
1.Volume 1 Diverts to Hawks
2.Volume 2 Megapodes to Crab Plover
3.Volume 3 Stone Carlos to Owls
4.Volume 4 Frogmouth to Pittas
5.Volume 5 Larks to Gray Hypoliculus
6.Volume 6: Kuki-Shreix to Babeles
7.Volume 7 Laughing Thrush to Mangrove Whistler
8.Volume 8 Warbler to RedStars
9.Volume 9 Robbins to Wagales
10.Volume 10 flowerpacers to buntings
👉Fall of Sparrow - autobiography, 1985
👉Common Birds (co-writer Laiq Fatehali); National Book Trust 1967
👉A Pictorial Guide to the Birds of Indian Subcontinent - Co-op Sidney Dillon Ripley. 1983
👉Bird Study in India, Its History and Impressions 1979
👉The Great Indian Bustard part 1 -2 Co-author - Rahmani; BNHS (1982-89)
प्रादेशिक मार्गदर्शिका (Regional guide)
- Birds of Bhutan with Biswas, B. & Ripley, D., Calcutta: Zoological Survey of India (1996)
- The Birds of Bombay and Salsette with H. Abdulali, Bombay: Prince of Wales Museum (1941)
- The Birds of Kutch, London: OUP (1945)
- Indian Hill Birds Bombay: OUP (1949)
- The Birds of Travancore and Cochin Bombay: OUP (1953)
- The Birds of Gujarat Bombay: Gujarat Research Society (1956)
- A Picture Book of Sikkim Birds Gangtok: Government of Sikkim (1960)
- The Birds of Sikkim Delhi: OUP (1962)
- Birds of केरळ Madras: OUP (1969)
- Field Guide to the Birds of the Eastern Himalayas Bombay: OUP (1977)
- The Vernay Scientific Survey of the Eastern Ghat; Ornithological Section—Together with The Hyderabad State Ornithological Survey 1930-38 with Hugh Whistler, Norman Boyd Kinnear (undated)
पुरस्कार (Award's)
👉पद्म भूषण, (1958)
👉ब्रिटिश ऑर्निथोलॉजिस्ट ब्रिटिश के राष्ट्रीय पदक, (1967)
👉जॉन सी आंतरिक संरक्षण में प्रतिष्ठित सेवा के लिए फिलिप्स पदक, विश्व संरक्षण संघ से, (1969) (वैश्विक संरक्षण टीम द्वारा प्रतिष्ठित सेवा के लिए जॉन सी फिलिप्स पदक)
👉पद्म विभूषण,(1976)
👉नीदरलैंड सरकार के गोल्डन आर्क का आदेश, (1986)
***महाराष्ट्र सरकार ने 12 नवंबर को "पक्षी दिवस" के रूप में सलीम अली के जन्मदिन की घोषणा करने का फैसला किया था।
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***तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही फिर मिलेंगे अगली पोस्ट में तब तक के लिए नमस्कार जय हिन्द वन्दे मातरम।
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