भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार का नाम है ज्ञानपीठ पुरस्कार। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भी भाषा में अगर लेखन करता हो तो वह इस पुरस्कार के लिए योग्य है।


ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं की सूची 1965 से 2020 तक technical prajapati
ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं की सूची 1965 से 2020 तक

नमस्कार दोस्तों,
फ्रेंड्स, साहित्यिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो। इसी विचार को मध्य नजर रखते हुए 16 सितंबर 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ की स्थापना अध्यक्ष श्रीमती रमा जैन ने न्यास की एक गोष्ठी में इस पुरस्कार का प्रस्ताव रखा। दरअसल इसकी शुरुआत 22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के 50 वे जन्मदिन के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों को सुझा था। आज की पोस्ट में हम आप को ज्ञानपीठ पुरस्कार के बारे में अधिक जानकारी देते हुए 1965 से 2020 तक के सभी पुरस्कार विजेताओं की सूची से रूबरू कराएंगे।

ज्ञानपीठ पुरस्कार

दोस्तों जैसे कि हमने जाना भारतीय साहित्य के लिए भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा दिया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार यह सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है। इस पुरस्कार के लिए वह व्यक्ति योग्य होता है जो भारत का नागरिक हो और आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भी भाषा में लेखक करता हो।

जब भी कोई व्यक्ति इस पुरस्कार को पाता है तो उसे पुरस्कार के रूप में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है। दोस्तों हालांकि इस पुरस्कार के लिए दी जाने वाली राशि 1965 में ₹100000 से प्रारंभ की गई थी जो समय-समय पर बदलती रहती है।


एजुकेशन से जुड़े आर्टिकल पढ़ने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें।



***इसे भी पढ़ें शायद आपको पसंद आए***
☛ इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार विजेताओं की सूची 1986-2019
☛ अंतर्राष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार विजेताओं की सूची 1995-2019


प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को  1965 में प्रदान किया गया। उस समय उन्हें पुरस्कार के रूप में ₹100000 धन राशि प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी गई।

सन 1982 तक यह पुरस्कार किसी भी लेखक के एकल कृति के लिए दिया जाता था। लेकिन इसके बाद यह पुरस्कार लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने लगा। अब तक हिंदी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात-सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। इस पुरस्कार के लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस भाषा के साहित्यकार को एक बार पुरस्कार मिल जाता है उस पर अगले 3 वर्ष तक कोई भी विचार नहीं किया जाता।

ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन प्रक्रिया

इस पुरस्कार की चयन प्रक्रिया काफी मुश्किलों से भरी होती है और कई महीनों तक चलती है। इस प्रक्रिया की शुरुआत अलग-अलग भाषाओं के साहित्यकारों, अध्यापकों, समालोचकों, प्रबुद्ध पाठकों, विश्वविद्यालयों, साहित्य तथा भाषाई संस्थाओं को प्रस्ताव भेजने के साथ होता है। जैसे कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि जिस भाषा के साहित्यकार को एक बार पुरस्कार मिल जाता है उस पर अगले 3 वर्षों तक कोई भी विचार नहीं किया जाता। प्रत्येक भाषा के लिए एक ऐसी परामर्श समिति है जिसमें 3 व्याख्याता साहित्य समालोचक और विद्वान सदस्य शामिल होते हैं। इन समितियों का गठन 3 वर्ष के लिए होता है प्राप्त किए गए प्रस्ताव संबंधित भाषा परामर्श समिति द्वारा जाते जाते हैं। भाषा समितियों पर यह प्रतिबंध नहीं है कि वह अपना विचार विमर्श प्राप्त प्रस्तावों तक ही सीमित रखें। उन्हें किसी भी लेखक पर विचार करने की स्वतंत्रता दी गई है।

यह समिति किसी भी साहित्यकार पर विचार करते समय भाषा समिति को उसके संपूर्ण कृतित्व का मूल्यांकन तो करना ही होता है। साथ ही समसामयिक भारतीय साहित्य की पृष्ठभूमि में भी उसको परखना होता है। इस पुरस्कार के 28 नियम में किए गए संशोधन के अनुसार पुरस्कार वर्ष को छोड़कर पिछले 20 वर्ष की अवधि में प्रकाशित कृतियों के आधार पर लेखक का मूल्यांकन किया जाता है।

भाषा परामर्श समितियों की अनुशंसाए प्रवर समिति के समक्ष प्रस्तुत की जाती है। इस प्रवर समिति में कम से कम 7 और अधिक से अधिक 11 सदस्य हो सकते हैं जिनकी ख्याति और विश्वसनीय उच्च कोटि की होती है।

दोस्तों आपको बता दें पहली प्रवर परिषद का गठन भारतीय ज्ञानपीठ के न्यास मंडल द्वारा किया गया था। इसके बाद इन सदस्यों की नियुक्ति परिषद की संस्तुति पर होती है। इस परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है लेकिन इसे दो बार और बढ़ाया जा सकता है। यह समिति भाषा परामर्श समितियों की संस्तुतियों का तुलनात्मक मूल्यांकन करती हैं। प्रवर परिषद के अत्यंत चिंतन और पर्यालोचन के बाद ही पुरस्कार के लिए किसी साहित्यकार का अंतिम चरण होता है। इसमें भारतीय ज्ञानपीठ के न्यास मंडल का कोई हस्तक्षेप नहीं होता।

तो दोस्तों, इस प्रकार ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए किसी साहित्यकार का चुनाव किया जाता है। अब आप को ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा उसके चुनाव प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त हो गई होगी। आइए अब हम ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं की सूची 1965 से 2020 तक रूबरू होते हैं।

ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं की सूची 1965 से 2020 तक


ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं की सूची 1965 से 2020 तक
वर्ष नाम कृति भाषा
1965 जी शंकर कुरुप ओटक्कुष़ल (वंशी) मलयालम
1966 ताराशंकर बंधोपाध्याय गणदेवता बांग्ला
1967 के.वी. पुत्तपा श्री रामायण दर्शणम कन्नड़
उमाशंकर जोशी निशिता गुजराती
1968 सुमित्रानंदन पंत चिदंबरा हिन्दी
1969 फ़िराक गोरखपुरी गुल-ए-नगमा उर्दू
1970 विश्वनाथ सत्यनारायण रामायण कल्पवरिक्षमु तेलुगु
1971 विष्णु डे स्मृति शत्तो भविष्यत बांग्ला
1972 रामधारी सिंह दिनकर उर्वशी हिन्दी
1973 दत्तात्रेय रामचंद्र बेन्द्रे नकुतंति कन्नड़
गोपीनाथ महान्ती माटीमटाल उड़िया
1974 विष्णु सखाराम खांडेकर ययाति मराठी
1975 पी.वी. अकिलानंदम चित्रपवई तमिल
1976 आशापूर्णा देवी प्रथम प्रतिश्रुति बांग्ला
1977 के. शिवराम कारंत मुक्कजिया कनसुगालु कन्नड़
1978 सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" कितनी नावों में कितनी बार हिन्दी
1979 बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य मृत्यंजय असमिया
1980 एस. के. पोट्टेक्काट ओरु देसात्तिन्ते कथा मलयालम
1981 अमृता प्रीतम कागज ते कैनवास पंजाबी
1982 महादेवी वर्मा यामा हिन्दी
1983 मस्ती वेंकटेश अयंगार - कन्नड़
1984 तकाजी शिवशंकरा पिल्लै - मलयालम
1985 पन्नालाल पटेल - गुजराती
1986 सच्चिदानंद राउतराय - ओड़िया
1987 विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज - मराठी
1988 सी॰ नारायण रेड्डी - तेलुगु
1989 कुर्तुलएन हैदर - उर्दू
1990 वी.के.गोकक - कन्नड़
1991 सुभाष मुखोपाध्याय - बांग्ला
1992 नरेश मेहता - हिन्दी
1993 सीताकांत महापात्र - ओड़िया
1994 यू.आर. अनंतमूर्ति - कन्नड़
1995 एम.टी. वासुदेव नायर - मलयालम
1996 महाश्वेता देवी - बांग्ला
1997 अली सरदार जाफरी - उर्दू
1998 गिरीश कर्नाड - कन्नड़
1999 निर्मल वर्मा - हिन्दी
गुरदयाल सिंह - पंजाबी
2000 इंदिरा गोस्वामी - असमिया
2001 राजेन्द्र केशवलाल शाह - गुजराती
2002 दण्डपाणी जयकान्तन - तमिल
2003 विंदा करंदीकर - मराठी
2004 रहमान राही - कश्मीरी
2005 कुँवर नारायण - हिन्दी
2006 रवीन्द्र केलकर - कोंकणी
सत्यव्रत शास्त्री - संस्कृत
2007 ओ.एन.वी. कुरुप - मलयालम
2008 अखलाक मुहम्मद खान शहरयार - उर्दू
2009 अमरकान्त - हिन्दी
श्रीलाल शुक्ल - हिन्दी
2010 चन्द्रशेखर कम्बार - कन्नड
2011 प्रतिभा राय - ओड़िया
2012 रावुरी भारद्वाज - तेलुगू
2013 केदारनाथ सिंह - हिन्दी
2014 भालचंद्र नेमाडे - मराठी
2015 रघुवीर चौधरी - गुजराती
2016 शंख घोष - बांग्ला
2017 कृष्णा सोबती - हिन्दी
2018 अमिताव घोष - अंग्रेजी
2019 अक्कितम अच्युतन नंबूदरी - मलयालम
2020 पुरस्कार की घोषणा अभी तक नहीं हुई है।

उम्मीद करते हैं दोस्तों, हमारे द्वारा दी गई है जानकारी आप सभी दोस्तों को बहुत पसंद आई होगी। अगर जानकारी पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। साथ ही साथ कमेंट बॉक्स में दी गई जानकारी के बारे में अपनी राय जरूर दें, क्योंकि दोस्तों कमेंट बॉक्स आपका ही है।

7 Comments

इस आर्टिकल के बारे में आप अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं।

  1. चयन प्रक्रिया क्या है

    ReplyDelete
    Replies
    1. सौम्या जी सवाल पूछने के लिए आपका धन्यवाद!

      इस पुरस्कार के लिए चयन प्रक्रिया काफी उलझन भरी होती है और यह कई महीनों तक चलती है। विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों, अध्यापकों, समालोचकों, प्रबुद्ध पाठकों, विश्वविद्यालयों, साहित्यिक तथा भाषायी संस्थाओं से प्रस्ताव होने के साथ इस चयन प्रक्रिया का आरंभ होता है।

      ज्ञानपीठ पुरस्कार के नियम के अनुसार - जिस भाषा के साहित्यकार को एक बार यह पुरस्कार प्राप्त हो जाता है, उस पर अगले 3 वर्ष तक कोई भी विचार नहीं किया जाता।

      इस चयन प्रक्रिया के लिए - हर भाषा की एक परामर्श समिति होती है। जिसमें तीन विख्यात साहित्यिक समालोचक और विद्वान सदस्य शामिल होते हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन प्रक्रिया में जो परामर्श समितियां होती है - उनका गठन तीन-तीन वर्ष के लिए होता है। प्राप्त हुए सभी प्रस्ताव संबंधित भाषा परामर्श समिति द्वारा जाँचे जाते हैं। भाषा समितियों पर यह प्रतिबंध नहीं होता कि वह अपने विचार विमर्ष प्राप्त प्रस्तावों तक ही सीमित रखें। उन्हें किसी भी लेखक पर विचार करने की स्वतंत्रता होती है।

      भारतीय ज्ञानपीठ न्यास, परामर्श समिति से यह अपेक्षा रखती है कि - संबंध भाषा का कोई भी पुरस्कार योग्य साहित्यकार विचार परिधि से बाहर ना रह जाए। किसी साहित्यकार पर विचार करते समय भाषा समिति उसके संपूर्ण कृतित्व का मूल्यांकन करती है और उन्हें ऐसा करना ही होता है। साथ ही समसामयिक भारतीय साहित्य की पृष्ठभूमि में भी उनको रखना होता है।

      भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार के 28वें पुरस्कार नियम में किए गए संशोधन के अनुसार - पुरस्कार वर्ष को छोड़कर पिछले 20 वर्ष की अवधि में प्रकाशित कृतियों के आधार पर लेखक का मूल्यांकन किया जाता है।

      भाषा परामर्श समिति अपनी सिफारिशें प्रवर परिषद के समक्ष प्रस्तुत करती हैं। प्रवर परिषद में कम से कम 7 और अधिक से अधिक 11 ऐसे सदस्य होते हैं जिनकी ख्याति और विश्वसनीयता उच्च कोटि की होती है। दोस्तों आपको बता दें की - पहली प्रवर परिषद का गठन भारतीय ज्ञानपीठ के न्यास मंडल द्वारा किया गया था। इसके बाद इन सदस्यों की नियुक्ति परिषद की सिफारिशों पर होती है। प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है, लेकिन उसे दो बार और बढ़ाया जा सकता है।

      प्रवर परिषद, भाषा परामर्श समितियों की सिफारिशों का तुलनात्मक मूल्यांकन करती है। प्रवर परिषद गवर्नर चिंतन और पर्यालोचन के बाद ही पुरस्कार के लिए साहित्यकार का अंतिम चयन करती है। भारतीय ज्ञानपीठ के न्यास मंडल का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होता।

      तो इस प्रकार ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए साहित्यकारों का चयन किया जाता है।

      ***ज्ञानपीठ पुरस्कार के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमारे ऑनलाइन विद्यालय ब्लॉग पर विजिट करें।

      Delete
    2. #Saumya
      चयन प्रक्रिया का मतलब सिलेक्शन प्रोसेस होता है; यानी ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन प्रक्रिया का मतलब ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए विजेता का सिलेक्शन होगा।

      Delete
  2. Hindi ke liye jisko jisko gyanpdh mila usaka nam h lekin kis kriti ke liye mila usaka nam nhi h

    ReplyDelete
  3. सन 1982 तक यह पुरस्कार किसी भी लेखक के एकल कृति के लिए दिया जाता था। लेकिन इसके बाद यह पुरस्कार लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने लगा।

    उपरांत दिए गए ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं की सूची में हमने सन 1982 तक इस पुरस्कार को प्राप्त विजेताओं की सूची के सामने किस कृति के लिए यह पुरस्कार दिया गया के बारे में बताया है।

    ReplyDelete
  4. यह पुरस्कार कौन प्रदान करता है ?

    ReplyDelete
    Replies
    1. दिलीप प्रजापति, सवाल पूछने के लिए सुक्रिया!
      ज्ञानपीठ पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए प्रदान किया जाता है।

      Delete

Post a Comment

इस आर्टिकल के बारे में आप अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं।

Previous Post Next Post