25 अप्रैल दूरदर्शन रंगीन हुआ | यह धारावाहिक प्रथम दिखाए गए
25 April आज के ही दिन दूरदर्शन (Television) रंगीन हुआ था। यह बिल्कुल सच है कि एक समय दूरदर्शन जो अपने आप में संपूर्ण विकसित मीडिया था। वर्तमान में दूरदर्शन की वास्तविकता को नजरअंदाज किया जा रहा है। भारत के स्वतंत्र हो जाने के बाद से ही दूरदर्शन अपनी संकल्पना और विकास उसी के साथ साथ विकासात्मक संवाद इन सब में बहुत ही ज्यादा कठिन परिश्रम करने वाला माध्यम था।

हेलो नमस्कार दोस्तों,
फ्रेंड्स, भले ही देश भर में केबल चैनलों का नेटवर्क फैले है, लेकिन आज भी भारत के कोने कोने तक पहुंचने वाले ऑडियो-विजुअल मीडिया "दूरदर्शन" ही है। आज भी दूरदर्शन दुनिया के सबसे बड़े टेलीविजन नेटवर्क में से एक माना जाता है। आइए जानते है दूरदर्शन के कृष्णधवल से रंगबिरंगी होने का सफर तथा उस सफर में प्रक्षेपित किये जाने वाले धारावाहिक को के बारे में।

25 April आज के ही दिन दूरदर्शन रंगीन हुआ  जानिए रंगीन दूरदर्शन पर कौन-कौन से धारावाहिक प्रथम दिखाए गए Technical Prajapati

दूरदर्शन के कृष्णधवल से रंगबिरंगी होने का सफर

फ्रेंड्स 1959 में, दूरचित्रवाणी (Television) के प्रक्षेपण की शुरुआत हुई। इसी बिच इसका अस्तित्व सिर्फ आकाशवाणी के एक विभाग से ज्यादा आगे नहीं था। दूरदर्शन का यह प्रक्षेपण अंतरराष्ट्रीय दर्जा का हो इसीलिए रंगीत प्रसारण करने का निर्णय लिया गया और इतने दिनों के कड़ी मेहनत के बाद 25 अप्रैल 1982 को कृष्ण धवल दूरदर्शन रंग बिरंगी दूरदर्शन बन गया। 1985 के बाद घर घर में दूरदर्शन टेलीविजन सेट दिखाई देने लगे और धारावाहिकों की चर्चा शुरू हो गई। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ चर्चित धारावाहिकों के बारे में।

1) हम लोग :
1984 में आई, "हम लोग" यह धारावाहिक ने एक अलग ही दरवाजे को खोल दिया। कनिष्ठा मध्यमवर्गीय जनता के दिलों को छूने वाली इस कथा में परिवार नियोजन, लैंगिक विषमता, स्त्री शिक्षण, महिला सबलीकरण, व्यसनाधीनता आदि सवालों को चित्रित किया गया था।

2 ) भारत एक खोज :
भीष्म साहनी के उपन्यास पर आधारित, "तमस" यह धारावाहिक गोविंद निहलानी द्वारा निर्देशित की गई थी। जवाहरलाल नेहरू के डिस्कवरी ऑफ इंडिया इस ग्रंथ के आधार पर "भारत एक खोज" जैसी अनोखी धारावाहिक। इसके अलावा दुनिया भर की सर्वश्रेष्ठ लघु कथाओं पर आधारित दर्पण जैसी धारावाहिक अभिरुचि संपूर्ण कार्यक्रम दर्शकों को घर बैठे मिलने लगे।

3) रामायण और महाभारत :
सबसे ज्यादा लोकप्रियता के उंचाईओं को छूने वाली धारावाहिक - रामानंद सागर की "रामायण" और बी आर चोप्रा की "महाभारत" धारावाहिक। दोनों ही धारावाहिक मनोरंजन-प्रधान थे, हालाँकि उनके पीछे एक सामाजिक और नैतिक संदेश था।

4) कृषिदर्शन :
टेलीविजन पर शुरू से ही चला आ रहा है और यह आज भी उतना ही लोकप्रिय है ऐसा धारावाहिक - कृषिदर्शन। इसके माध्यम से, भारत में सभी किसानों को मुर्गी पालन [कुक्कुटपालन], बागवानी, फुलबाग आदि से संबंधित मुद्दों पर जानकारी प्रदान की जाती है।

दोस्तों, लेकिन इसके बाद, सभी राष्ट्रीय चर्चाओं में दूरदर्शन ने अपना स्थान बना लिया था। इसीलिए सरकार ने दूरदर्शन में चैतन्य लाने के उद्देश्य से प्रसार भारती की स्थापना की।

आज, आजादी मिलकर कितने साल होने के होने के बावजूद भी सरकार ने दूरदर्शन की कवरेज और प्रसारण का पूरा फायदा नहीं किया है। प्राइवेट मीडिया के जंजालों में दूरदर्शन खुद का अस्तित्व गवा रहा है। हमें यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि दूरदर्शन के पास वास्तविक लोगों तक पहुंचकर सकारात्मक कार्यों को निभाने की जबरदस्त क्षमता है।
तो दोस्तों भले ही कितने ही मीडिया आ जाए लेकिन दूरदर्शन ने लोगों के दिलों में जितनी जगह बनाई थी उतनी जगह वह कभी नहीं बना सकते हैं

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