हमारे मूल कानूनी अधिकार कौन से हैं? अगर आप भारत के निवासी हैं; तो आपको इस बारे में पता होना चाहिए। भारतीय संविधान जिसे डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने लिखा था। जिसके अनुसार हर नागरिक को गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत करने की संपूर्ण छूट है। वह अपने मूल अधिकारों का उपयोग सरकार के मनमाने और अन्यायपूर्ण कार्यों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कर सकता है। आज की पोस्ट में हम आपको ''हमारे मूल कानूनी अधिकार तथा उनके प्रकार कौन-कौन से हैं?'' के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा लिखित भारतीय संविधान में मूल अधिकारों की संरक्षा का कार्य सर्वोच्च न्यायालय को सौंपा गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं; मूल अधिकार अत्यंतिक अधिकार नहीं है। मूल अधिकारों पर आवश्यकता पड़ने पर सार्वजनिक हित में निर्बंध भी लगाया जा सकता है। क्योंकि, किसी भी सामाजिक व्यवस्था में व्यक्ति और समाज दोनों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए यह बेहद आवश्यक होता है।
यदि साफ साफ शब्दों में कहा जाए तो - आप अपने मूल अधिकारों का उपयोग करके सरकार से अपनी बात मनवा सकते हैं। हालांकि, जब आप की मांग सामाजिक व्यवस्था में दरार पैदा कर रही है। तो ऐसे में व्यक्ति और समाज दोनों में सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से सर्वोच्च न्यायालय आपके मूल अधिकार पर निर्बंध लगा देती है।
***तो दोस्तों हमारे मूल कानूनी अधिकार से परिचय होने के बाद आइए अब हम अपने मूल अधिकारों के कौन-कौन से प्रकार हैं? जानते हैं।
दोस्तों, इन मूल अधिकारों के अलावा भी हमारे पास कुछ मूल्यवान अधिकार है; आइए आपको बताते हैं।
दोस्तों, हम बहुत जल्द हमारे मूल अधिकार के प्रकारों की स्वतंत्र जानकारी आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगे। इस बात को हमेशा याद रखें कि - मूल कानूनी अधिकारों का उपयोग आप केवल तभी कर सकते हैं; जब आप उसके लिए पात्र होते हैं। ऐसा नहीं कि, आपने खुद गाड़ी ठोक दी और वाहन दुर्घटना मुआवजे की मांग करें। धन्यवाद!
उम्मीद करते हैं दोस्तों - हमारे द्वारा दी गई जानकारी आप सभी दोस्तों को बहुत पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करेंगे। साथ ही साथ कमेंट बॉक्स में दी गई जानकारी के बारे में अपनी राय जरूर देंगे। क्योंकि, दोस्तों यह बताने की जरूरत नहीं है; कि कमेंट बॉक्स आपका ही है।
Our basic legal rights and their types - Technical Prajapati |
सामग्री सारणी
हमारे मूल कानूनी अधिकार
दोस्तों, भारतीय संविधान हर नागरिकों को कुछ मूल अधिकार देता है। जिसका उपयोग वह नागरिक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए सरकार के मनमाने और अन्यायपूर्ण कार्यों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कर सकता है। दोस्तों आपको बता दें - हम अपने मूल अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। हालांकि, दूसरे मामलों में हमें सर्वप्रथम निचली अदालतों में मामला दायर करना होता है और वहां के फैसले के खिलाफ अपील करते हुए बड़े अदालतों तक आते हैं।डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा लिखित भारतीय संविधान में मूल अधिकारों की संरक्षा का कार्य सर्वोच्च न्यायालय को सौंपा गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं; मूल अधिकार अत्यंतिक अधिकार नहीं है। मूल अधिकारों पर आवश्यकता पड़ने पर सार्वजनिक हित में निर्बंध भी लगाया जा सकता है। क्योंकि, किसी भी सामाजिक व्यवस्था में व्यक्ति और समाज दोनों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए यह बेहद आवश्यक होता है।
यदि साफ साफ शब्दों में कहा जाए तो - आप अपने मूल अधिकारों का उपयोग करके सरकार से अपनी बात मनवा सकते हैं। हालांकि, जब आप की मांग सामाजिक व्यवस्था में दरार पैदा कर रही है। तो ऐसे में व्यक्ति और समाज दोनों में सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से सर्वोच्च न्यायालय आपके मूल अधिकार पर निर्बंध लगा देती है।
***तो दोस्तों हमारे मूल कानूनी अधिकार से परिचय होने के बाद आइए अब हम अपने मूल अधिकारों के कौन-कौन से प्रकार हैं? जानते हैं।
मूल अधिकारों के प्रकार
भारतीय संविधान में भारतीय नागरिक के लिए कुल 9 मूल अधिकार दिए गए हैं, आइए जानते हैं।- समता का अधिकार (आर्टिकल 14 से 18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (आर्टिकल 19)
- अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण (आर्टिकल 20)
- प्राण और दैहिक स्वतंत्रता संरक्षण (आर्टिकल 21)
- बंदीकरण एवं निरोध के विरुद्ध संवैधानिक संरक्षण (आर्टिकल 22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (आर्टिकल 23 और 24)
- धर्म स्वतंत्रता का अधिकार (आर्टिकल 25 से 28)
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (आर्टिकल 29 और 30)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (आर्टिकल 32 से 35)
दोस्तों, इन मूल अधिकारों के अलावा भी हमारे पास कुछ मूल्यवान अधिकार है; आइए आपको बताते हैं।
- निवास प्रमाण पत्र का अधिकार
- मानहानि के खिलाफ अधिकार
- मुकदमों में शीघ्र निपटारे का अधिकार
- यौन उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार
- वाहन दुर्घटना मुआवजा
- किराएदारी का अधिकार
- सुरक्षित पर्यावरण का अधिकार
दोस्तों, हम बहुत जल्द हमारे मूल अधिकार के प्रकारों की स्वतंत्र जानकारी आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगे। इस बात को हमेशा याद रखें कि - मूल कानूनी अधिकारों का उपयोग आप केवल तभी कर सकते हैं; जब आप उसके लिए पात्र होते हैं। ऐसा नहीं कि, आपने खुद गाड़ी ठोक दी और वाहन दुर्घटना मुआवजे की मांग करें। धन्यवाद!
उम्मीद करते हैं दोस्तों - हमारे द्वारा दी गई जानकारी आप सभी दोस्तों को बहुत पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करेंगे। साथ ही साथ कमेंट बॉक्स में दी गई जानकारी के बारे में अपनी राय जरूर देंगे। क्योंकि, दोस्तों यह बताने की जरूरत नहीं है; कि कमेंट बॉक्स आपका ही है।
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