गुड़ी पड़वा से जुडी खास बातें तथा पौराणिक कथा | हिंदी में
Saturday, 6 April : Gudi Padwa 2019 in Maharashtra : चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा कहते हैं। गुड़ी पड़वा हिंदी महीने चैत्र के पहले दिन मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे नये साल की शुरूआत के रूप में मनाया जाता है।

हेलो, नमस्कार दोस्तों,
फ्रेंड्स, गुड़ी पड़वा का पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र में हिन्दू नववर्ष के आरंभ की ख़ुशी में मनाया जाता है। यह त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होने वाले नए साल की शुरुआत के दिन ही मनाने की परंपरा है। गुड़ी पड़वा का पर्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गोवा सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आज की इस पोस्ट में हम "गुड़ी पड़वा से जुडी खास बातें तथा पड़वा से जुड़ी पौराणिक कथा" के बारे में जानने वाले है।
Gudi Padwa 2019 : गुड़ी पड़वा से जुडी खास बातें तथा पौराणिक कथा | Technical Prajapati, Gudi padwa image photo
गुड़ी पड़वा से जुडी खास बातें तथा पौराणिक कथा

दोस्तों, गुड़ी का मतलब ध्वज यानि झंडा और पड़वा यानी प्रतिपदा तिथि होती है। ऐसा माना जाता की, इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। और साथ ही साथ  इसी दिन से चैत्र नवरात्र की भी शुरूआत होती है। महाराष्ट्र में इस दिन पूरन पोली या कहें मीठी रोटी बनाकर पूजा की जाती है।

गुड़ी पड़वा से जुडी खास बातें

दोस्तों जैसे कि हमने, गुड़ी पड़वा के सामान्य बातें जानी, लेकिन अब हम गुड़ी पड़वा से जुड़ी खास बातें जानने वाले हैं। 

Sr.No गुड़ी पड़वा से जुडी खास बातें
1 गुड़ी पड़वा को महाराष्ट्रियन लोग नये साल की शुरुआत मानते हैं। इस दिन लोग नयी फसल की पूजा करते हैं।
2 गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने घरों की विशेष साफ-सफाई करने के बाद घरों में रंगोली बनाते हैं। आम के पत्तों से बंदनवार बनाकर सभी घरों के आगे लगाते हैं। महिलाएं घरों के बाहर सुदंर और आकर्षक गुड़ी लगाती हैं।
3 गुड़ी पड़वा के मौके पर खासतौर पर पूरन पोली नामक पकवान बनता है। यानि मीठी रोटी, इसे गुड और नीम, नमक, इमली के साथ बनाया जाता है।
4 ऐसा माना जाता है कि गुड़ी को घर में लाने से बुरी आत्मा दूर रहती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
5 पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन रावण को हराने के बाद भगवान राम अयोध्या लौटे थे।
6 विक्रम संवत हिंदू पंचांग के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था।
7 वीर मराठा छत्रपति शिवाजी जी ने युद्ध जीतने के बाद पहली बार गुड़ी पड़वा को मनाया था। इसी के बाद हर साल मराठी लोग इस परंपरा का अनुसरण करते हैं।
8 अधिकतर लोग इस दिन कड़वे नीम की पत्तियों को खाकर दिन की शुरूआत करते हैं। कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा पर ऐसा करने से खून साफ होता है और शरीर मजबूत बनता है।
9 इस दिन को विभिन्न राज्यों में उगादी, युगादी, छेती चांद आदि अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।
10 इस दिन सोना, वाहन या मकान की खरीद या किसी काम की शुरुआत करना शुभ माना जाता है।

गुड़ी पड़वा से जुडी पौराणिक कथा

🙏🙏🙏 गुड़ी पड़वा से जुडी पौराणिक कथा 🙏🙏🙏

दोस्तों, दक्षिण भारत में गुड़ी पड़वा का त्यौहार काफी लोकप्रिय है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक सतयुग में दक्षिण भारत में राजा बालि का शासन था।
जब भगवान श्री राम को पता चला की लंकापति रावण ने माता सीता का हरण कर लिया है तो उनकी तलाश करते हुए जब वे दक्षिण भारत पहुंचे तो यहां उनकी उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई।
सुग्रीव ने श्रीराम को बालि के कुशासन से अवगत करवाते हुए उनकी सहायता करने में अपनी असमर्थता जाहिर की। इसके बाद भगवान श्री राम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उसके आतंक से मुक्त करवाया।
मान्यता है कि वह दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का था। इसी कारण इस दिन गुड़ी यानि विजय पताका फहराई जाती है।


🙏🙏🙏 एक अन्य कथा 🙏🙏🙏

एक अन्य कथा के मुताबिक शालिवाहन ने मिट्टी की सेना बनाकर उनमें प्राण फूंक दिये और दुश्मनों को पराजित किया। इसी दिन शालिवाहन शक का आरंभ भी माना जाता है। इस दिन लोग आम के पत्तों से घर को सजाते हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक व महाराष्ट्र में इसे लेकर काफी उल्लास होता है।

तो दोस्तों इस पोस्ट में हमने " गुड़ी पड़वा से जुडी खास बातें तथा पौराणिक कथा " के बारे में जाना।

उम्मीद करते है दोस्तों, आप सभी को आज का " Gudi Padwa 2019 : गुड़ी पड़वा से जुडी खास बातें तथा पौराणिक कथा | "यह पोस्ट बेहद पसंद आया होगा। 

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***तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही फिर मिलेंगे अगली पोस्ट में तब तक के लिए नमस्कार जय हिन्द वन्दे मातरम। 

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