मेरा 1 वोट क्या मायने रखता है? : अगर मैं अकेले वोट नहीं देता तो इससे क्या फर्क पड़ता है? यह विचार लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। बून्द बून्द से घड़ा भरता है इस मुहावरे के अनुरूप ही एक-एक वोटों से वोटों का पहाड़ खड़ा हो जाता है।
हेलो, नमस्कार दोस्तों,
फ्रेंड्स, अक्सर हम सोचते है की, मेरे अकेले के वोट न देने से क्या पहाड़ टूट पड़ेगा ? लेकिन दोस्तों आपको बता दें, भूतकाल में ऐसे बहुत सारे ऐसे उदाहरण है, जहाँ पूरी बाजी सिर्फ 1 वोट के कारन ही पलट गई। इस वजह से हर किसी को वोट देकर अपने मतदान का हक्क और कर्त्तव्य को निभाना चाहिए। क्युकी आपका वोट लोकतंत्र को और अधिक कुशल बनाने में मदद करता है। आइए जानें कुछ उदाहरण जो हमें एक वोट के मूल्य को समझने में मदद करेंगे।
हेलो, नमस्कार दोस्तों,
फ्रेंड्स, अक्सर हम सोचते है की, मेरे अकेले के वोट न देने से क्या पहाड़ टूट पड़ेगा ? लेकिन दोस्तों आपको बता दें, भूतकाल में ऐसे बहुत सारे ऐसे उदाहरण है, जहाँ पूरी बाजी सिर्फ 1 वोट के कारन ही पलट गई। इस वजह से हर किसी को वोट देकर अपने मतदान का हक्क और कर्त्तव्य को निभाना चाहिए। क्युकी आपका वोट लोकतंत्र को और अधिक कुशल बनाने में मदद करता है। आइए जानें कुछ उदाहरण जो हमें एक वोट के मूल्य को समझने में मदद करेंगे।
मेरा 1 वोट क्या मायने रखता है?
1) हिटलर का पहला विरोध:
एडॉल्फ हिटलर ने नाझी पार्टी की स्थापना की। जब पार्टी की अध्यक्षता के लिए मतदान हुआ, तो पार्टी के 554 सदस्यों में से 553 सदस्यों ने हिटलर के पक्ष में मतदान किया, जबकि एक सदस्य ने हिटलर के खिलाफ मतदान किया। इस एक वोट से हिटलर के खिलाफ जर्मन में पहला विरोध प्रदर्शन दिखाया गया।
2) सरकार ढह गई:
1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की 13 महीने की सरकार 1999 में ही उदध्वस्त हो गई थी। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव था। उनके खिलाफ 270 वोट पड़े और उनकी बाजु से 269 वोट थे। इस वजह से उनकी सरकार गिर गई।
3) एक वोट से पराजित:
2004 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में ए.आर. कृष्णमूर्ति को 40,751 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को 40,752 वोट मिले। इस तरह, वे 1 वोट से चुनाव हारने वाले पहले उम्मीदवार बन गए।
4) मुख्यमंत्री बनने के सपने का हुआ भंग:
2009 के विधानसभा चुनावों में, सीपी जोशी को 62,215 वोट मिले, उनके खिलाफ, कल्याण सिंह चौहान को 62,216 वोट मिले। वे सिर्फ एक वोट से हार गए। यह फैसला उनके मुख्यमंत्री बनने के सपने को भंग दिया।
5) प्रधानमंत्री के दावेदार:
1979 में मार्गरेट थैचर ब्रिटेन में विपक्ष की नेता थीं। उन्होंने उस वक्त पंतप्रधान जेम्स कॅलहेन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव के पक्ष में 311 वोट और विरोध में केवल 310 वोट मिले। इस प्रस्ताव के कारण कॅलहेन सरकार का पतन हुआ तथा मार्गरेट थैचर प्रधानमंत्री के पद की एक शक्तिशाली दावेदार बन गई।
6) संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति:
1876 में, रुदरफोर्ड हेस संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बने। जब चुनावी वोटों की गिनती की गई, रुदरफोर्ड को 185 और टिन्डलर को 184 वोट मिले थे। रुदरफोर्ड हेस सिर्फ एक वोट की वजह से अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए।
तो दोस्तों यह सभी संयोग पढ़ने के बाद आप सभी को अपने 1 वोट का महत्त्व जरूर पता चल गया होगा। इसीलिए आपसे गुजारिश है, वोट देकर अपने मतदान के हक्क और कर्त्तव्य को जरूर निभाए तथा देश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें।
उम्मीद करते है दोस्तों, आप सभी को हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी बेहद पसंद आई होगी। अगर हाँ...! तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें ताकि उन्हें भी अपने 1 वोट का मूल्य पता चल जाए। साथ ही साथ दोस्तों इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय जरूर दें।
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