Bhartiya Sahitya Akademi Complete information in Hindi - Technical Prajapati |
भारतीय साहित्य अकादमी
12 मार्च 1954 से सक्रिय रूप से कार्य करने वाली भारतीय साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष अपने द्वारा मान्यता दिए गए कुल 24 भाषाओं के लिए विभिन्न पुरस्कार प्रदान करती है। पिछले कुछ वर्षों से अकादमी ऐसे भाषाओं के कृति के लिए भी पुरस्कार प्रदान कर रही है जिन भाषाओं को अकादमी ने मान्यता नहीं दी है। इसी के साथ अकादमी फेलोशिप कार्यक्रम भी चलाती है।भारतीय साहित्य अकादमी - इतिहास
दोस्तों, भारत की स्वतंत्रता से बहुत पहले से देश की ब्रिटिश सरकार के पास भारत में साहित्य की राष्ट्रीय संस्था की स्थापना का प्रस्ताव विचाराधीन था। सन 1944 में, भारत सरकार ने Royal Asiatic Society of Bengal का या प्रस्ताव सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया था कि - सभी क्षेत्रों में सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय सांस्कृतिक ट्रस्ट का गठन किया जाना चाहिए। ट्रस्ट के अंतर्गत साहित्य अकादमी के साथ तीन अकादेमियां और थी। स्वतंत्रता के बाद भारत के स्वतंत्र सरकार द्वारा प्रस्ताव का अनुसरण करते हुए विस्तृत रूपरेखा तैयार करने के लिए श्रृंखलाबद्ध बैठकें बुलाई गई।सबके सम्मति से तीन राष्ट्रीय अकादेमियों के गठन का निर्णय लिया गया। एक साहित्य के लिए दूसरी दृश्य-कला तथा तीसरी नृत्य, नाटक और संगीत के लिए। लेकिन, विचारों में यह मतभेद हुआ कि - सरकार को जरूरी कदम उठाते हुए अकादेमियों की स्थापना करनी चाहिए अथवा इसे उन व्यक्तियों के लिए रुकना चाहिए, जो अकादेमियों की स्थापना के लिए आवश्यक नैतिक प्राधिकारी हैं। संघ के शिक्षा मंत्री अब्दुल कलाम आजाद का विचार था कि -
‘‘यदि हमने अकादमी के लिए नीचे से इसके विकास की प्रतीक्षा की तो शायद यह कभी स्थापित नहीं हो पाएगी’’
यह महसूस किया गया कि - सरकार के पास आदमियों के गठन के लिए पहल कदमी के सिवा कोई विकल्प नहीं है। भारत सरकार द्वारा इस प्रक्रिया में किए जाने वाला कार्य पर्दा उठाने की तरह था। सरकार ने अकादेमियों का गठन किया। हालाँकि, जब एक बार वे गठित हो गई। तब वह किसी नियंत्रण में नहीं रही है और उन्हें स्वायत्त संस्था के रूप में कार्य करने के लिए छोड़ दिया गया।
भारतीय साहित्य अकादमी - स्थापना
दोस्तों, भारत सरकार ने संकल्प सं. एफ-6-4/51 जी 2 (ए) दिनांक दिसंबर 1952 के माध्यम से साहित्य अकादेमी नामक राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था को स्थापित करने का निर्णय लिया।12 मार्च 1954 को भारत सरकार द्वारा भारतीय साहित्य अकादमी का विधिवत उद्घाटन किया गया था। भारत सरकार के इस प्रस्ताव में अकादमी का यह विधान निरूपित किया गया था; उसमें अकादमी की यह परिभाषा दी गई है की -
भारतीय साहित्य के सक्रिय विकास के लिए कार्य करनेवाली एक राष्ट्रीय संस्था, जिसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं में साहित्यिक गतिविधियों को समन्वित करना एवं उनका पोषण करना तथा उनके माध्यम से देश की सांस्कृतिक एकता का उन्नयन करना होगा।
हालांकि दोस्तों, अकादेमी की स्थापना सरकार द्वारा की गई है, लेकिन फिर भी यह एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में कार्य करती है। इस संस्था का पंजीकरण - संस्था पंजीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत 7 जनवरी 1956 को किया गया था।
भारतीय साहित्य अकादमी - गतिविधियां
दोस्तों, भारतीय साहित्य अकादमी प्रत्येक वर्ष अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त 24 भाषाओं में साहित्यिक कृतियों के लिए पुरस्कार प्रदान करती है। साथ ही साथ इन्हीं भाषाओं में परस्पर साहित्यिक अनुवाद के लिए भी पुरस्कार प्रदान करती हैं। यह पुरस्कार वर्ष भर चले समीक्षा, परिचर्चा और चयन के बाद घोषित किए जाते हैं।अकादेमी उन भाषाओं के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान करने वालों को 'भाषा सम्मान' से विभूषित करती है, जिन्हें औपचारिक रूप से साहित्य अकादेमी की मान्यता प्राप्त नहीं है। यह सम्मान 'क्लासिकल एवं मध्यकालीन साहित्य' में किए गए योगदान के लिए भी दिया जाता है।
अकादेमी प्रतिष्ठित लेखकों को महत्तर सदस्य और मानद महत्तर सदस्य चुनकर सम्मानित करती है। आनंद कुमारस्वामी और प्रेमचंद के नाम से एक 'फ़ेलोशिप' की स्थापना भी की गई है।
बाल तथा युवा लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2010 तथा 2011 से अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार तथा युवा पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदान करती है। भारतीय साहित्य अकादमी द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार तथा शुरुआती वर्ष :
अ.क्र | पुरस्कार का नाम | शुरुआती वर्ष |
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01 | साहित्य अकादमी पुरस्कार | सन 1954 से |
02 | साहित्य अकादेमी फ़ेलोशिप | सन 1974 से |
03 | साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार | सन 1989 से |
04 | भाषा सम्मान | सन 1996 से |
05 | डॉ. आनंद कुमारस्वामी फ़ेलोशिप | सन 1996 से |
06 | प्रेमचंद फ़ेलोशिप | सन 2005 से |
07 | बाल साहित्य पुरस्कार | सन 2010 से |
08 | युवा पुरस्कार | सन 2011 से |
भारतीय साहित्य अकादमी - अब तक के अध्यक्ष
- भारतीय साहित्य अकादमी के पहले अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। सन 1963 में वह फिर से अध्यक्ष निर्वाचित हुए। मई 1964 में, उनके निधन के बाद सामान्य परिषद ने डॉ. एस. राधाकृष्णन को अकादमी का नया अध्यक्ष निर्वाचित किया।
- फरवरी 1968 में, नवगठित परिषद ने डॉ. ज़ाकिर हुसैन को साहित्य अकादेमी का अध्यक्ष निर्वाचित किया। मई 1969 में, उनके निधन के पश्चात् परिषद ने डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी को अध्यक्ष चुना।
- फरवरी 1973 में डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी परिषद द्वारा पुनः अध्यक्ष चुने गए तथा मई 1977 में उनकी मृत्यु के पश्चात उपाध्यक्ष प्रो. के.आर. श्रीनिवास आयंगर साहित्य अकादेमी के कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए गए।
- फरवरी 1978 में, प्रो. उमाशंकर जोशी अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
- फरवरी 1983 में, प्रो. वी. के. गोकाक अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
- फरवरी 1988 में, डॉ. बीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
- सन 1993 में, प्रो. यू. आर. अनंतमूर्ति अध्यक्ष चुने गए।
- सन 1998 में, श्री रमाकांत रथ अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
- सन 2003 में, प्रो. गोपीचंद नारंग अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
- सन 2008-2012 के लिए पुनर्गठित सामान्य परिषद द्वारा श्री सुनील गंगोपाध्याय को अकादेमी का अध्यक्ष चुना गया।
- अक्तूबर 2012 में, श्री गंगोपाध्याय के निधन के पश्चात प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को प्रभारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- 18 फरवरी, 2013 को संपन्न पुनर्गठित सामान्य परिषद द्वारा प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को 2013-2017 के लिए अकादेमी का अध्यक्ष चुना गया।
- 12 फरवरी, 2018 को प्रसिद्ध कन्नड़ साहित्यकार प्रो. चंद्रशेखर कंबार साहित्य अकादमी के नए अध्यक्ष चुने गए।
***दोस्तों वर्तमान में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष कन्नड़ के मशहूर नाटककार, कवि, उपन्यासकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखक चंद्रशेखर कंबार है। वह 12 फरवरी 2018 से अब तक [29 अप्रैल, 2020 को लेख लिखा गया] कार्यरत हैं।
***दोस्तों भारतीय साहित्य अकादमी ने जिन 24 भाषाओं को मान्यता दी है; उनमें आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाएं तथा राजस्थानी और अंग्रेजी शामिल है।
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