विश्व मिट्टी / मृदा दिवस (अंग्रेजी : World Soil Day) : 5 दिसंबर को प्रतिवर्ष इस दिन को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के पीछे यह उद्देश्य छुपा हुआ है की - किसानों और आम लोगों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक किया जा सके। हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है, जिस देश में अधिकांश लोग खेती या किसानी करते हैं। ऐसे में इस दिन का महत्व हमारे लिए अधिक बढ़ जाता है। आज की इस पोस्ट में हम आप को इस दिवस के बारे में महत्वपूर्ण तथा संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

विश्व मिट्टी / मृदा दिवस - World Soil Day - Online Vidyalay
विश्व मिट्टी / मृदा दिवस - World Soil Day - Technical Prajapati

विश्व मिट्टी / मृदा दिवस

दोस्तों 5 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा संपूर्ण विश्व भर में विश्व मिट्टी दिवस मनाया जाता है। जैसे कि हर एक कार्य के पीछे एक उद्देश्य छुपा होता है। बिल्कुल वैसे ही इस दिवस को मनाने के पीछे भी एक उद्देश्य छुपा है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानों और आम लोगों को मिट्टी की महानता / महत्ता के बारे में जागरूक करना है।

20 दिसंबर 2013 को प्रतिवर्ष 5 दिसंबर को 'विश्व मिट्टी दिवस' मनाने का फैसला किया गया। आखिर यह फैसला क्यों किया गया? क्या जरूरत आन पड़ी थी? आइए बताते हैं।

दोस्तों विश्व के बहुत से भागों में उपजाऊ मिट्टी बंजर होते जा रही थी। इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि - किसानों द्वारा अधिक मात्रा में रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल जोरोशोरों से किया जा रहा था। जो मिट्टी के जैविक गुणों को कम करने तथा मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को गिराने में अथवा मृदा प्रदूषण का भी कारण बन रहा था। यही एक बहुत बड़ा कारण है कि - किसानों और आम जनता को मिट्टी की सुरक्षा के लिए जागृत करने की जरूरत आन पड़ी और 20 दिसंबर 2013 को प्रतिवर्ष विश्व मिट्टी दिवस मनाने का फैसला किया गया।

विश्व मृदा दिवस : इतिहास

वर्ष 2002 में अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने यह सिफारिश रखी कि - 5 दिसंबर को प्रतिवर्ष विश्व मृदा दिवस मनाया जाए। इसी के साथ खाद्य और कृषि संगठन (F.A.O.) ने भी इस दिवस की औपचारिक स्थापना को वैश्विक जागरूकता बढ़ाने वाले मंच के रूप में थाईलैंड के नेतृत्व में समर्थन दिया था। F.A.O. के सम्मेलन में सर्वसम्मति से जून 2013 में विश्व मिट्टी दिवस का समर्थन किया गया और 68 वे संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसको अधिकारिक रूप से मनाए जाने का अनुरोध किया गया। इसके उपरांत - दिसंबर 2013 में, 68 वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 दिसंबर को विश्व मिट्टी दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की। पहला विश्व मिट्टी दिवस 5 दिसंबर, 2014 को मनाया गया था।

***दोस्तों आपको बता दें - यह दिवस प्रतिवर्ष एक थीम के साथ मनाया जाता है। F.A.O. के मुताबिक - विश्व मृदा दिवस 2017 की थीम - “ग्रह की देख-भाल भूमि से शुरू होती है” तथा विश्व मृदा दिवस 2018 की थीम - “मृदा प्रदूषण रोको” तथा विश्व मृदा दिवस 2019 की थीम “मृदा कटाव रोकें, हमारा भविष्य संवारें” थी।

विश्व मृदा दिवस 2019 की थीम का मतलब :

मृदा प्रबंधन में बढ़ती चुनौतियों पर केंद्रित है और मृदा को बेहतर बनाने और इसके संरक्षण में सुधार की दिशा में काम करने के लिए दुनिया भर के संगठनों, सरकारों, समुदायों और व्यक्तियों को प्रोत्साहित करके मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाने की रूपरेखा को तैयार करना है।

मिट्टी / मृदा

पृथ्वी की ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को मृदा कहा जाता है। मिट्टी का निर्माण विभिन्न अनुपातों में खनिज, कार्बनिक पदार्थ और वायु से होता है। यह जीवन के दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। क्योंकि, इससे पौधे का विकास होता है और यह कई कीड़ों और जीवो के लिए रहने की जगह भी है। मिट्टी - भोजन, कपड़े, आश्रय और चिकित्सा सहित चार आवश्यक 'जीवित' कारकों का स्त्रोत भी है। इसीलिए यह बेहद जरूरी हो जाता है कि - मिट्टी का संरक्षण किया जाए।

दोस्तों आपको बता दें - वर्तमान में विश्व की संपूर्ण मृदा का 33% भाग पहले से ही बंजर हो चुका है। भारतीय कृषि संसाधन परिषद के उप महानिदेशक डॉ. रणधीर सिंह ने कहा था कि - खेती के तौर-तरीकों और वातावरण में हुए बदलाव का असर मिट्टी और पानी दोनों पर पड़ता है।

किसानों द्वारा अधिक मात्रा में रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वजह से मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आ रही है और मिट्टी की उपजाऊ क्षमता गिर रही है। यह मिट्टी प्रदूषण का भी एक सबसे बड़ा कारण है। किसान और आम जनता को मिट्टी का महत्व समझना होगा। किसानों को खेतों में जैविक खाद का उपयोग करना होगा। ताकि मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बरकरार रहे और मृदा प्रदूषण को रोका जा सके।

दोस्तों हाल ही (2015) में मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए वर्तमान (2020) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card) की शुरूआत की थी। इसमें भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय द्वारा देशभर में 14 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) जारी करने का लक्ष्य रखा गया था।

हमारी भूमिका

दोस्तों जैसे कि हम सभी को पता है - हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश में अधिकांश लोग खेती / किसानी करते हैं। ऐसे में हमारी भूमिका इस दिन क्या होनी चाहिए? हम सभी को इस दिन किसानों के पास जाकर उन्हें रासायनिक खाद से होने वाले मृदा प्रदूषण तथा जैविक खाद से होने वाले फायदों के बारे में बताना चाहिए। यह न केवल हमारे लिए बल्कि हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। अन्यथा वह दिन बहुत दूर नहीं जब संपूर्ण विश्व की मिट्टी बंजर हो जाएगी और हम सभी को एक-एक दाने के लिए तरसना होगा। मिट्टी का संरक्षण करना है तो जैविक खाद का ही उपयोग करें, इस बात को हमें किसानों तक किसी भी हालत में पहुंचाना है। हमारे धरती मां को मृदा प्रदूषण से होने वाले कष्ट से बाहर निकालना है।

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