How did die Lord Shrirama - Mythology story : भगवान श्रीराम की मृत्यु कैसे हुई पौराणिक कथा के अनुसार आखिर ऐसा क्या हुआ जो स्वंय भगवन को भी मृत्यु का सामना करना पड़ा। यही सब जानकारी आज की इस पोस्ट के द्वारा आपके साथ सांझा करने जा रहे है।

भगवान श्रीराम की मृत्यु कैसे हुई  पौराणिक कथा - How did Lord Shriram die mythology story
भगवान श्रीराम की मृत्यु कैसे हुई - पौराणिक कथा

नमस्कार दोस्तों,
फ्रेंड्स, भगवान राम जिस कार्य के लिए पृथ्वी पर आए थे। [ भगवान राम पृथ्वी पर किस कार्य के लिए आए थे। अधिक जानने के लिए " राम नवमी के अवसर पर जानिए इस त्यौहार की विशेष बातें " इस आर्टिकल को पढ़ें।] वह कार्य समाप्त हो चूका था। अब फिर से उनका वैकुंठ लौटने का समय निकट आ चुका था। लेकिन फिर भी रामजी का मृत्यु नहीं हो पा रहा था क्यूंकि हनुमान यमराज को उनके प्राण लेने नहीं दे रहे थे।

भगवान श्री राम यह भली-भांति जानते थे कि, पृथ्वी पर जिस किसी की निर्मिती हुई है उसका अंत निश्चित है, यह विधि का विधान है। इसीलिए एक दिन जब वह शरयू नदी के किनारे विहार कर रहे थे तब जानबूझकर अपनी अंगूठी को नीचे गिरा दिया और हनुमान को उस अंगूठी को खोजने के लिए भेज दिया। उसी क्षण भगवान राम ने शरयू नदी में जल समाधि लेकर उपस्थित सभी को अपने विष्णु अवतार का दर्शन दिया और वापस वैकुंठ लौट गए। अगर भगवान राम जानबूझकर हनुमान के साथ यह खेल खेलते तो, हनुमान कभी भी भगवान श्रीराम को मरने नहीं देते।

जल समाधि के बाद भगवान श्रीराम ने दिया विष्णु रूप का दर्शन - After water samadhi, Lord Shri Ram gave visions of Vishnu form
जल समाधि के बाद भगवान श्रीराम ने दिया विष्णु रूप का दर्शन

वहीं जब हनुमान अंगूठी खोजने के लिए गए तो बहुत सीधे पाताल पहुंच गए वहां उपस्थित नागराज वासुकी ने हनुमान से आने का कारण पूछा तो हनुमान ने बताया कि, मैं प्रभु श्री राम की अंगूठी खोजने के लिए आया हूं। तब वासुकी ने अपने सामने एक अंगूठी के ढेर पर उंगली का इशारा किया। यह आश्चर्य की बात यह है कि, हनुमान जिस किसी अंगूठी को उठाते वह राम की ही होती यानी वहां उपस्थित सभी अंगूठियां एक जैसी थी।

भगवान श्री राम की अंगूठी लेने गए हनुमान - Hanuman went to take the ring of Lord Shree Rama.
भगवान श्री राम की अंगूठी लेने गए हनुमान

जब हनुमान परेशान हो गए तब वासुकि उनके पास आए और उन्होंने हनुमान से कहा "यह सभी अंगूठियां भगवान श्री राम की ही है। यह चार युग एक चक्र हैं और दूसरे युग में, अर्थात त्रेता युग में, भगवान विष्णु श्री राम के अवतार के साथ जन्म लेते हैं। जब राम की मृत्यु निकट होती है, तो वे अपनी अंगूठी यहां फेंक देते हैं और एक बंदर उस अंगूठी को खोजने के लिए आता है। और हमेशा की तरह मैं उसे फिर से वही बात बताता हूं। भगवान विष्णु पृथ्वी पर अपना रामावतार कार्य समाप्त करते हैं और वापस वैकुंठ चले जाते हैं।"


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वासुकि की बातें सुनकर हनुमान को ज्ञात हुआ की, भगवान श्रीराम जानबूझकर अपनी अंगूठी फेंककर मुझे लाने के लिए भेज देते हैं।

***तो दोस्तों पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम की मृत्यु किस प्रकार हुई थी।

अगर आप इसे देखें तो आपको इस कहानी में खामियां भी नजर आती हैं। जैसे.-

✱ हनुमान को बल और बुद्धि का देवता माना जाता है। क्या हनुमान चार युगों के बाद उनके साथ घटित घटनाओं को भूल जाते हैं?

खैर इसका जवाब हमारे पास नहीं है। हमारे पास सिर्फ पौराणिक कथा है जिसके आधार पर हम भगवान श्रीराम की मृत्यु कैसे हुई इस बारे में बता रहे हैं।

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