श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2019 - कृष्णा जन्माष्टमी कथा |
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2019 |
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जन्माष्टमी 2019 तिथि | Saturday, 24 August |
जन्माष्टमी 2019 शुभ मुहूर्त | निशिथ मुहूर्त -[24 August 2019] 12 बजकर 1 मिनट से [25 August 2019] 12 बजकर 46 मिनट |
जन्माष्टमी 2019 पारण का समय | [25 August 2019] सुबह 5 बजकर 59 मिनट |
Saturday, 24 August
Krishna Janmashtami 2019
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2019 इस बार शनिवार, 24 अगस्त को आ रही है। भारत के हर राज्य में इस त्यौहार की एक अलग ही धूम देखने को मिलती है। चाहे गली हो या चाहे स्कूल या फिर कॉलेज हर जगह इस त्यौहार को लेकर एक अलग स्तर का उत्साह दिखाई देता है। शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। और कहा जाता है कि इस दिन देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में भगवान विष्णु ने कृष्ण का अवतार इसीलिए लिया क्योंकी धरती पर कंस के अत्याचारों तथा पापों का अंत कर सके।
भारत में जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण की मूर्तिओं के साथ साथ मंदिरों को भी सजाया जाता है तथा कीर्तन आदि किए जाते हैं। श्री कृष्णावतार के उपलक्ष्य में मंदिरों में झाकियाँ सजाई जाती हैं। लोग झाकियों में भगवान कृष्ण की छवि देखकर दर्शन करते हैं।
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आकाशवाणी की बातें सुनकर कंस क्रोध के कारण देवकी को मारने के लिए तैयार हो गया। उसने सोचा "न देवकी होगी ना उसका कोई पुत्र होगा"। तब वासुदेव ने कंस को समझाया कि, "तुम्हें देवकी से कोई भय नहीं है तुम्हें भय है तो देवकी की आठवीं संतान से इसलिए मैं देवकी की आठवीं संतान तुम्हें सौंप दूंगा"। कंस ने वासुदेव की बात स्वीकार कर ली और वासुदेव-देवकी को कारागार में बंद कर दिया। उसके तत्काल बाद कंस के पास नारद जी पहुंच गए और उन्होंने कंस से कहा कि "तुम्हें कैसे पता चलेगा कि, देवकी का आठवां गर्भ कौन सा होगा? गिनती प्रथम से शुरू होगी या अंतिम गर्भ से? कंस ने नारद जी के परामर्श पर देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले समस्त बालकों को एक-एक करके निर्दयता-पूर्वक मार डाला।
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवन श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ। उनके जन्म लेते ही कारागार की कोठरी में प्रकाश फैल गया। वासुदेव-देवकी के सामने शंख, चक्र, गदा एवं पदमधारी चतुर्भुज भगवान विष्णु ने अपना रूप प्रकट कर कहा, अब में बालक का रूप धारण करता हूँ। तुम मुझे तत्काल गोकुल में नन्द के यहाँ पहुँचा दो और उनकी अभी-अभी जन्मी कन्या को लेकर कंस को सौंप दो। वासुदेव जी ने वैसा ही किया और उस कन्या को लेकर कंस को सौंप दिया।
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवन श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ। उनके जन्म लेते ही कारागार की कोठरी में प्रकाश फैल गया। वासुदेव-देवकी के सामने शंख, चक्र, गदा एवं पदमधारी चतुर्भुज भगवान विष्णु ने अपना रूप प्रकट कर कहा, अब में बालक का रूप धारण करता हूँ। तुम मुझे तत्काल गोकुल में नन्द के यहाँ पहुँचा दो और उनकी अभी-अभी जन्मी कन्या को लेकर कंस को सौंप दो। वासुदेव जी ने वैसा ही किया और उस कन्या को लेकर कंस को सौंप दिया। जब कंस उस कन्या को मारने जा रहा था। तब वह कन्या कंस के हाथों से छूट कर आकाश में उड़ गई और देवी का रूप धारण कर बोली। "मुझे मारने से क्या लाभ होगा? तेरा शत्रु गोकुल पहुंच गया है"। यह दृश्य देखकर कंस व्याकुल हो गया। कंस ने कृष्ण को मारने के लिए अनेक दैत्य भेजे लेकिन श्रीकृष्ण ने अपनी अलौकिक माया के सारे दैत्यों को मार डाला और बड़े होकर कंस को मार कर मथुरा का राजा उग्रसेन को बना दिया।
***तो दोस्तों यह है, भगवान श्री कृष्ण के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा।
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Krishna Janmashtami 2019
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2019 इस बार शनिवार, 24 अगस्त को आ रही है। भारत के हर राज्य में इस त्यौहार की एक अलग ही धूम देखने को मिलती है। चाहे गली हो या चाहे स्कूल या फिर कॉलेज हर जगह इस त्यौहार को लेकर एक अलग स्तर का उत्साह दिखाई देता है। शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। और कहा जाता है कि इस दिन देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में भगवान विष्णु ने कृष्ण का अवतार इसीलिए लिया क्योंकी धरती पर कंस के अत्याचारों तथा पापों का अंत कर सके।
भारत में कैसे मनाया जाता है जन्माष्टमी का त्योहार
भारत में जन्माष्टमी के दिन लोग पूरे दिन का उपवास रखते हैं इसी के साथ भगवान श्री कृष्ण की स्तुति करते रहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के जन्म का पूरे दिन इंतजार किया जाता है और नवमी तिथि के दिन कृष्ण जन्म पर उनके भक्त व्रत का पारण करते हैं।भारत में जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण की मूर्तिओं के साथ साथ मंदिरों को भी सजाया जाता है तथा कीर्तन आदि किए जाते हैं। श्री कृष्णावतार के उपलक्ष्य में मंदिरों में झाकियाँ सजाई जाती हैं। लोग झाकियों में भगवान कृष्ण की छवि देखकर दर्शन करते हैं।
दही-हांडी
भारत के गुजरात और महाराष्ट्र में कृष्ण जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के एक दिन बाद दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव में युवा लड़के भाग लेते है जो एक मिट्टी के बर्तन या हांडी को तोड़ने के लिए एक मानव पिरामिड बनाते हैं। इस हांड़ी को ताजे मक्खन या दही से भरा जाता है और थोड़ी मुश्किल ऊँचाई पर लटका दिया जाता है। इस उत्सव के जरिए भगवान श्री कृष्ण के बचपन में माखन चोरी के कार्य को दर्शाया जाता है। गली-मोहल्ले-चौराहे, स्कूल-कॉलेजों आदि में इस उत्सव को मनाया जाता है। यह दिन गुजरात और महाराष्ट्र में अधिक लोकप्रिय है।
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कृष्णा जन्माष्टमी कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग के अंत में उग्रसेन राजा मथुरा में राज्य करते थे। उनके पुत्र कंस में उन्हें बलपूर्वक से आसन से उतारकर खुद को राजा घोषित कर दिया और उन्हें जेल में डलवा दिया। कंस की बहन देवकी का विवाह यादव कुल में वासुदेव के साथ निश्चित हो गया। जब कंस देवकी को विदा करने के लिए रथ के साथ जा रहा था तो आकाशवाणी हुई। " हे कंस ! जिस देवकी को तू बड़े ही प्रेम से विदा कर रहा है उस का आठवां पुत्र तेरा संहार करेगा"।आकाशवाणी की बातें सुनकर कंस क्रोध के कारण देवकी को मारने के लिए तैयार हो गया। उसने सोचा "न देवकी होगी ना उसका कोई पुत्र होगा"। तब वासुदेव ने कंस को समझाया कि, "तुम्हें देवकी से कोई भय नहीं है तुम्हें भय है तो देवकी की आठवीं संतान से इसलिए मैं देवकी की आठवीं संतान तुम्हें सौंप दूंगा"। कंस ने वासुदेव की बात स्वीकार कर ली और वासुदेव-देवकी को कारागार में बंद कर दिया। उसके तत्काल बाद कंस के पास नारद जी पहुंच गए और उन्होंने कंस से कहा कि "तुम्हें कैसे पता चलेगा कि, देवकी का आठवां गर्भ कौन सा होगा? गिनती प्रथम से शुरू होगी या अंतिम गर्भ से? कंस ने नारद जी के परामर्श पर देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले समस्त बालकों को एक-एक करके निर्दयता-पूर्वक मार डाला।
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवन श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ। उनके जन्म लेते ही कारागार की कोठरी में प्रकाश फैल गया। वासुदेव-देवकी के सामने शंख, चक्र, गदा एवं पदमधारी चतुर्भुज भगवान विष्णु ने अपना रूप प्रकट कर कहा, अब में बालक का रूप धारण करता हूँ। तुम मुझे तत्काल गोकुल में नन्द के यहाँ पहुँचा दो और उनकी अभी-अभी जन्मी कन्या को लेकर कंस को सौंप दो। वासुदेव जी ने वैसा ही किया और उस कन्या को लेकर कंस को सौंप दिया।
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवन श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ। उनके जन्म लेते ही कारागार की कोठरी में प्रकाश फैल गया। वासुदेव-देवकी के सामने शंख, चक्र, गदा एवं पदमधारी चतुर्भुज भगवान विष्णु ने अपना रूप प्रकट कर कहा, अब में बालक का रूप धारण करता हूँ। तुम मुझे तत्काल गोकुल में नन्द के यहाँ पहुँचा दो और उनकी अभी-अभी जन्मी कन्या को लेकर कंस को सौंप दो। वासुदेव जी ने वैसा ही किया और उस कन्या को लेकर कंस को सौंप दिया। जब कंस उस कन्या को मारने जा रहा था। तब वह कन्या कंस के हाथों से छूट कर आकाश में उड़ गई और देवी का रूप धारण कर बोली। "मुझे मारने से क्या लाभ होगा? तेरा शत्रु गोकुल पहुंच गया है"। यह दृश्य देखकर कंस व्याकुल हो गया। कंस ने कृष्ण को मारने के लिए अनेक दैत्य भेजे लेकिन श्रीकृष्ण ने अपनी अलौकिक माया के सारे दैत्यों को मार डाला और बड़े होकर कंस को मार कर मथुरा का राजा उग्रसेन को बना दिया।
***तो दोस्तों यह है, भगवान श्री कृष्ण के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा।
उम्मीद करते हैं दोस्तों, हमारे द्वारा दी गई है जानकारी आप सभी दोस्तों को बेहद पसंद आई होगी। अगर जानकारी पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करें। साथ ही साथ कमेंट बॉक्स में दी गई जानकारी के बारे में अपनी राय जरूर दें, क्योंकी दोस्तों कमेंट आपका ही है।
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