Dhing Express 'हिमा दास' जिद्द और परिश्रम का अद्भुत रसायन
The Dhing Express : Hima Das [Olympic athlete] / द ढींग एक्सप्रेस: हिमा दास [ओलंपिक एथलीट]

कौन है हिमा दास? आखिर क्यों चल रहे हैं इनके इतने चर्चे? अरे रुकिए-रुकिए सभी सवालों के जवाब आज आपको इस पोस्ट में हम देने वाले साथ ही साथ आपको यह भी बताएंगे कि, कैसे बनी हिमा दास जिद्द और परिश्रम का अद्भुत रसायन।
Dhing Express 'हिमा दास' जिद्द और परिश्रम का अद्भुत रसायन Golden Girl, UdanPari

नमस्कार दोस्तों,
फ्रेंड्स, भारत की अव्वल एथलीट हिमा दास का गोल्ड जीतने का जुनून बरकरार है। शनिवार [20 July 2019] को उन्होंने पांचवें स्वर्ण पदक को अपने नाम किया। आइए जानते है, भारत का सम्मान दुनिया भर में बढ़ाने वाली इस महान एथलिट के बारे में।

आखिर क्यों हैं हिमा दास के चर्चे?

👍👉 पॉज़्नान एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स [Poznan Athletics Grand Prix] प्रतियोगिता में हिमा दास ने 52.09 सेकंड के समय के साथ महिलाओं की 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता है।
👍👉 इसके पहले वी. के. विस्मया, सरिता गायकवाड ने क्रमशः दूसरा (52.48 सेकंड) और तीसरा (53.28 सेकंड) हासिल किया था।
👍👉 पिछले 15 दिनों में 200 मीटर दौड़ में चार स्वर्ण पदक जीतने वाली हिमा ने 400 मीटर दौड़ में पहली बार सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया।
👍👉 हीमा ने पूरे महीने विभिन्न प्रतियोगिताओं में पांच स्वर्ण पदक जीते हैं।
तो दोस्तों, अगर कोई दुनिया भर में भारत के लिए ऐसा प्रदर्शन करे और भारत का सम्मान दुनिया भर में बढ़ाए तो क्यों नहीं होंगे हिमा के चर्चे।

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सफलता हासिल करने के लिए हिमा दास की जिद्द और परिश्रम

ढींग एक्सप्रेस [Dhing Express] के नाम से जानी जाने वाली 'हिमा दास' ने एक ही महीने में पांच स्वर्ण पदक अर्जित कर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई है। 
इसलिए आज उसे कोई 'गोल्डन गर्ल' तो कोई  'उडनपरी' के नाम से सम्बोधित कर रहा है। अत्यधिक विपत्ति और कड़े प्रयासों के कारण उसने यह अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है। आइए आज हम उनके प्रेरणादायक सफर के बारे में जानते हैं।

फुटबॉल से हुई शुरुआत

हिमा दास का जन्म असम राज्य के नागाव जिले में ढिंग के पास कंधुलिमारी गाँव में हुआ। हिमा के माता-पिता धान की खेती करते हैं। हिमा ने कम उम्र में ही फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था।
अपने गांव या जिले में हेमा छोटे-बड़े फुटबॉल मैच खेलकर ₹100- ₹200 जितनी थी। इसी से उनमें दौड़ के लिए जरूरी मैदानी गुणों का विकास हुआ।


मेहनती और साहसी - हिमा दास

बचपन से ही हिमा थोड़ी जिद्दी और संयमी थी। चाहे वह खेत में के काम हो या किसी बीमार व्यक्ति को दवा खाना ले जाना हो वह सभी कामों को सही तरीके से करती थी। 
हिमा के पिता रणजित दास कहते हैं कि, बिना किसी परिस्थिति के झुकना हीमा की दृढ़ सफलता की उपलब्धि निर्विवाद है।

विपरीत परिस्थितियों में सफलता

जब हिमा एक बार गुवाहाटी शिविर के लिए गई थी, तब उनके प्रशिक्षक / कोच निपुण दास ने उनके अंदर के एथलीट को पहचाना और उनके माता-पिता से प्रशिक्षण के लिए गुवाहाटी भेजने का अनुरोध किया। आर्थिक स्थिति को देखने के बाद कोच दास ने हेमा के सभी खर्च करने के लिए तैयार हो गए। ऐसे विपरीत परिस्थितिओं में भी उन्होंने सफलता हासिल की।

समस्याओं से बना बल स्थान

एक वक्त था जब हिमा दास के पास दौड़ने के लिए जरूरी होने वाले बूट तक नहीं थे। लेकिन कड़ी मेहनत और परिश्रम के बाद उन्होंने पूरी दुनिया को अपने कर्तृत्व से अवगत करा दिया। 
आज विश्व विख्यात शूज ब्रांड 'आदिदास' [Adidas] हिमा-दास के नाम से जूता तैयार किया है। इसी से उनके कृतित्व की पहचान की जा सकती है।

सामाजिक ज़िम्मेदारीयां

सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाली हिमा हमेशा से ही समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बनाए रखा है। वर्तमान में असम में बाढ़ प्रभावित राज्य के लिए मुख्यमंत्री सहायता निधि में अपने वेतन के आधे हिस्से को दिया है। 
साथ ही साथ उनके विभिन्न सामाजिक गतिविधियों को सोशल मीडिया पर हमेशा सराहा जाता है।

हिमा दास की अब तक की उपलब्धियां

  • फ़िनलैंड में, जुलाई 2018 में, उन्होंने 400 मीटर की दौड़ में अंडर -20 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। ऐसा प्रदर्शन करने वाली वह पहली भारतीय महिला बनीं।
  • इंडोनेशिया के 2018 एशियाई खेलों में 400 मीटर दौड़ में इन्होने रजत पदक अर्जित किया।
  • इंडोनेशिया में एशियाई खेलों 2018 में पहली बार मिश्रित रिले स्पर्धा में हिमा दास की टीम ने रजत पदक जीता।
  • हिमा दास की टीम ने इंडोनेशिया में 2018 एशियाई खेलों में महिला रिले में स्वर्ण पदक जीता।
  • 2019 में पॉज़्नान एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स में 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।
  • 2019 में कुंटो एथलेटिक्स में 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। 
  • 2019 में क्लांदो मेमोरियल एथलेटिक्स में 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।
  • 2019 में टाबोर ग्रैंड प्रिक्स में 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। 
  • 2019 में नोवे मेस्टोनाड मेटुजी ग्रैंड प्रिक्स में स्वर्ण पदक जीता।
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खेल जगत में हिमा दास के उत्कृष्ट प्रदर्शन को मद्देनजर रखते हुए, भारत सरकार ने 2018 में खेल क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया था।

निष्कर्ष

दोस्तों एक बात तो साफ है की, चर्चा उसी की होती है, जो बहुत ही बढ़िया या बहुत ही घटिया काम करें। घटिया काम करने वाले लोगों को लोग कुछ दिनों तक याद करते हैं बाद में भूल जाते हैं। लेकिन, जब आप कोई बढ़िया काम करते हैं तो दुनिया आपके उस बढ़िया काम को हमेशा याद रखती है। इसीलिए अपने ज़िद्द और परिश्रम के बल पर कुछ ऐसा काम करें जिससे लोग आपको हमेशा याद करते रहे। हिमा दास की तरह कुछ ऐसा काम करें जो अपने आप में अप्रतिम हो। क्योंकि लोगों की वाह! वाही! मुफ्त नहीं है मेरे दोस्त, इसके लिए कड़ी मेहनत और ज़िद्द की जरुरत है।
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